अखबार आम जनता की आवाज बनते रहें, तो उन्हें कुछ और करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन अखबार पत्रकारिता छोड़ कर बाकी सब करते नजर आ रहे हैं। पत्रकारिता पीछे छूट जाने के कारण अखबारों को अब स्वयं अपनी ब्रांडिंग करनी पड़ रही है। प्रचार का सशक्त माध्यम होने के बावजूद अखबारों को भी सड़कों के किनारे अपने बैनर, पोस्टर लगाने पड़ रहे हैं, अखबार विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजक-प्रायोजक बनते नजर आ रहे हैं, इस सबसे न सिर्फ अखबारों की साख खराब हो रही है, बल्कि आम जनता का पत्रकारिता के प्रति विश्वास घटता जा रहा है।
ताजा प्रकरण सीतापुर जिले का है, जो चर्चा में बना हुआ है, यहाँ हिन्दुस्तान कार्यालय में तैनात ब्यूरो चीफ राकेश यादव व्यापारी मुकेश अग्रवाल से चंदे के रूप में 51 हजार रूपये मांग रहे हैं। राकेश यादव ने सीतापुर महोत्सव में सहयोग करने की अपील करते हुए मुकेश अग्रवाल से 51 हजार रूपये देने को कहा, जिस पर मुकेश अग्रवाल ने 11 सौ रूपये देने को कहा, लेकिन 51 हजार रूपये देने को लेकर असमर्थता व्यक्त कर दी, यह ऑडियो किसी तरह वायरल हो गया है, जिससे राकेश यादव और हिन्दुस्तान अखबार की जमकर फजीहत हो रही है।
बताते हैं कि हिन्दुस्तान 22 अप्रैल से सीतापुर के लालबाग पार्क में सीतापुर महोत्सव आयोजित करने जा रहा है। ऑडियो वायरल होने के बाद लोग एक-दूसरे से कहते सुने जा सकते हैं कि इस तरह रुपया इकट्ठा कर के महोत्सव आयोजित करने की आवश्यकता ही क्या है। अगर, अखबार को अपनी वाह-वाह करानी ही है, तो अपने कोष से आयोजन करे। अब विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि फजीहत के बाद हिन्दुस्तान आयोजन करायेगा, या नहीं?
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