बदायूं जिले में तैनात कुख्यात दारोगा अशोक कुमार यादव को जिले से बाहर फेंक दिया गया है। आरोपी दारोगा के विरुद्ध अन्य कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है, जबकि उसने बड़ा अपराध किया है।
उल्लेखनीय है कि उझानी कोतवाली में तैनात दारोगा अशोक कुमार यादव पर गाँव संजरपुर बालजीत निवासी नन्हें सिंह ने आरोप लगाया था कि उसे दारोगा व तीन सिपाहियों ने बेवजह हिरासत में ले लिया और जमकर मार लगाई, जिससे उसका हाथ तक टूट गया। बतौर नन्हें दारोगा का यह कहना था कि उसके लाइन हाजिर होने पर उसने मिठाई बांटी थी, इसलिए पीट रहा है, इस घटना को लेकर पीड़ित नन्हें के पक्ष में सैकड़ों ग्रामीण लामबंद हो गये और 12 सितंबर को सभी ने अशोक के विरुद्ध एसएसपी से कार्रवाई करने की मांग की, इस पर एसएसपी ने सीओ को प्रकरण की जाँच दे दी।
बताया जाता है कि आरोपी दारोगा की तमाम गलतियाँ अफसरों के सामने आई हैं। दारोगा को गाड़ी व रिवाल्वर ले जाने का अधिकार नहीं था। दारोगा को संजरपुर बालजीत की ओर भी नहीं जाना था, फिर भी उसने दो सिपाहियों के साथ नन्हें को घर से उठा लिया। नन्हें के विरुद्ध कोई शिकायत नहीं थी, इसके बावजूद न सिर्फ उसे पीटा, बल्कि हवालात में भी बंद कर दिया, इतना सब होने के बावजूद आपराधिक किस्म के एक स्थानीय सपा नेता के दबाव में अफसर उसे बचा रहे थे, इस पर आरोपी दारोगा के विरुद्ध कार्रवाई न होने से पीड़ित नन्हें के पक्ष में क्षत्रिय महासभा खड़ी हो गई। महासभा ने 26 सितंबर को हाईवे जाम करने का ऐलान किया है।
उक्त सिरफिरे दारोगा अशोक कुमार यादव का आज बरेली रेंज के डीआईजी ने पीलीभीत जिले के लिए तबादला कर दिया। आरोपी दारोगा को तत्काल प्रभाव से रिलीव भी कर दिया गया है, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि कानून को उठा कर ताक में रख देने वाले सिरफिरे दारोगा अशोक के विरुद्ध के मुकदमा दर्ज करा कराते हुए निलंबन आदि की कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
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दारोगा से त्रस्त क्षत्रिय महासभा का हाईवे जाम करने का ऐलान