शाहजहाँपुर से जुड़ा यौन उत्पीड़न का आरोपी कथित संत यौन उत्पीड़न के एक मुकदमे से दोष मुक्त होने के बाद और ज्यादा दुस्साहसी हो गया है, वो अब करोड़ों रूपये की संपत्ति कब्जाने का प्रयास कर रहा है। ब्रह्मलीन संत की संपत्ति में से करोड़ों रुपया झपट लाया है, जिसे अपनी रखैलों पर जमकर उड़ा रहा है। हालाँकि ब्रह्मलीन संत के सेवकों द्वारा आरोप लगाये जा रहे हैं, शिकायतें की जा रही हैं पर, भ्रष्टाचार के चलते कुछ नहीं हो पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि गीता भवन ट्रस्ट व गीता भवन पब्लिक स्कूल ट्रस्ट के चेयरमैन स्वामी सहज प्रकाश कोरोना से संक्रमित होने के बाद 13 नवंबर 2020 को ब्रह्मलीन हो गये थे। ब्रह्मलीन संत के ट्रस्ट पर मोगा व हरिद्वार में 800 करोड़ रुपये की संपत्ति बताई जाती है। बीमारी के दिनों में स्वामी सहज प्रकाश की सेवा करने वाली दो साध्वियों का दावा है कि स्वामी सहज प्रकाश ने ट्रस्टी बनाने के बाद ट्रस्ट के अधीन मोगा व हरिद्वार की संपत्तियों का मालिकाना अधिकार उन्हें दे दिया था। वसीयत तहसीलदार भूपिंदर सिंह ने 2 अक्टूबर को गीता भवन पहुंच कर रजिस्टर्ड करवाई थी, इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई थी। दावा है कि स्वामी कमल पुरी के वसीयत पर गवाह के रूप में हस्ताक्षर हैं, इस दौरान गीता भवन में नंबरदार के रूप में जगराज सिंह के उपस्थित रहने का भी दावा है।
उक्त कार्यकारिणी में मसाज बाबा के नाम से कुख्यात यौन उत्पीड़न का आरोपी संत भी पदाधिकारी है, इसीलिए कुख्यात संत संपूर्ण संपत्ति कब्जाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि ब्रह्मलीन स्वामी जी के सेवकों ने यौन उत्पीड़न के आरोपी कथित संत का अस्थि विसर्जन के दौरान हाथ तक नहीं लगने दिया लेकिन, दबंग और बदमाश किस्म के लोगों के सहारे वह पहुंच गया और वहां से कई करोड़ रूपये झपट लाया, साथ ही और संपत्ति हड़पने का प्रयास लगातार कर रहा है।
सूत्रों का कहना है कि अचानक आई बड़ी रकम से ही मसाज बाबा के नाम से कुख्यात कथित संत ने शाहजहाँपुर में छात्रा द्वारा लिखाये गये मुकदमे का निपटारा किया है, इस मुकदमे को निपटाने में करोड़ों रूपये खर्च होने की संभावनायें जताई जा रही हैं, इसी तरह कुख्यात कथित संत पर कथित शिष्या द्वारा वर्ष- 2011 में भी यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया गया था, इस कथित पीड़िता को भी कुख्यात आरोपी ने मोटी रकम के साथ नोयडा के सेक्टर- 93 में स्थित बी ब्लॉक में कीमती फ्लैट और कार वगैरह दी है, जिसके बदले कथित पीड़िता ने पक्ष में शपथ पत्र भी दे दिया है। हालाँकि शपथ पत्र अभी न्यायालय में विचाराधीन है।
उधर उक्त संपत्ति को लेकर गीता भवन ट्रस्ट ने निर्णय लिया है कि मोगा व हरिद्वार में स्थित संपत्ति का प्रबंधन ट्रस्ट स्वयं करेगा, किसी संत को ट्रस्ट का चेयरमैन बनाकर समस्त अधिकार नहीं सौंपे जायेंगे। ब्रह्मलीन स्वामी जी ने ट्रस्ट और संस्थाओं को गतिमान रखते हुए अपार सम्मान दिलाया था, जिस पर आपराधिक प्रवृत्ति के कुख्यात संत की गिद्ध दृष्टि पड़ने से विवाद खड़ा हो गया है। अब देखते हैं कि कुख्यात संत को पुलिस-प्रशासन और ट्रस्टी ही खदेड़ देंगे अथवा, विवाद न्यायालय तक जायेगा। जो भी हो, हाल-फिलहाल ब्रह्मलीन स्वामी जी के समर्थक निराश बताये जा रहे हैं।
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