अब फिल्म सिर्फ मनोरंजन का विषय नहीं है। इस क्षेत्र को अब एक शक्तिशाली इंडस्ट्री के रूप में जाना जाता है, जो मनोरंजन ही नहीं कराता, बल्कि मीडिया का भी काम कर रहा है। शोषण के विरुद्ध आवाज उठा रहा है। लिंग भेद, जाति भेद और धार्मिक उन्माद के विरुद्ध सबसे सशक्त माध्यम बनता जा रहा है। बच्चों के साथ संपूर्ण समाज को जागरूक करते हुए मान-सम्मान और रोजगार के हर तरह के अवसर दे रहा है। इन तमाम क्षेत्रों में कार्य करने के इच्छुक व्यक्तियों का प्रथम लक्ष्य होता है मुंबई में स्थापित हो जाना। समाज को जागरूक करने के उददेश्य से कार्य करने वाला एक साहसिक जोड़ा है, जो न सिर्फ मुंबई में तेजी से जगह बना रहा है, बल्कि इस जोड़े को बेस्ट स्क्रीन प्ले का अवार्ड भी मिला है।
राजस्थानी मूल की मुंबई में रहने वाली लेखिका उषा राठौड़ ने सामाजिक बुराईयों और कुरीतियों को केंद्र में रखते हुए “भाग्य” नाम की एक कहानी लिखी और उस पर फिल्म बनाई। “भाग्य” फिल्म का निर्देशन उनके पति हिम्मत सिंह शेखावत ने किया। इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने चिल्ड्रन कैटेगरी में उच्चतम श्रेणी का सर्टिफिकेट दिया है। पिछले दिनों इस फिल्म को राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में “बेस्ट स्क्रीन” प्ले का अवार्ड मिल चुका है। “भाग्य” फिल्म को जयपुर फिल्म फेस्टिवल के लिए भी नामांकित किया गया है, इस सब से हट कर लेखिका उषा राठौड़ इस बात को लेकर उत्साहित हैं कि उनकी यह फिल्म “भाग्य” अभिवावकों और स्कूल प्रबंधन को जागरूक करने का बड़ा कार्य करेगी। उनका कहना है कि वे अभिवावकों को जागरूक करने में सफल रहीं, तो उनकी मेहनत का सबसे बड़ा फल यही होगा।