बदायूं के जिलाधिकारी शम्भू नाथ ने कहा कि किसान नवीन कृषि पद्धति अपनाकर मेन्था, औषधि एवं फूलों आदि की खेती तथा दुधारू प्रजाति के पशु पालन से अधिक लाभ पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान लाभ एवं हानि की चिन्ता किए बगैर खेती धर्म मानकर करता है, क्योंकि इसी व्यवस्था से सृष्टि चलती है, यदि किसान लाभ एवं हानि की चिन्ता कर के खेती करेगा, तो खाद्यान्न की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
गुरूवार को उझानी स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में बदायूं के सांसद धर्मेन्द्र यादव की प्रेरणा से किसान मेला एवं मेन्था कार्यशाला आयोजित हुई। कार्यशाला की अध्यक्षता हर प्रसाद सिंह पटेल ने की। जिलाधिकारी ने कहा कि वह कृषि और कृषकों से अत्यन्त प्रेम करते हैं। उन्होंने कहा कि कृषक औषधिय खेती, फूलों की खेती एवं अन्य फसलों में नवीन तकनीकी अपनाकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों और व्यवसाइयों में आपसी सामंजस्य अत्यन्त जरूरी है। उन्होंने कहा कि जनपद में सांसद के प्रयास से ही नहर निकालने का कार्य चल रहा है।
बदायूं के सांसद के प्रतिनिधि नीरज राठौर ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सांसद के प्रयास से किसानों, पशु पालकों की आय वृद्धि हेतु विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनपद में सड़क, पुल, मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेज, ओवरब्रिज आदि के विकास कार्यों के साथ साथ सांसद ने कृषकों, पशु पालकों के हितार्थ गोष्ठी आयोजित कर लाभान्वित करने को कहा है।
बदायूं के सांसद के प्रतिनिधि अवधेश यादव ने कहा कि परिवर्तन का युग है, इसलिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार कृषि पद्धति में भी परिवर्तन लाकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह एवं डाक्टर राममनोहर लोहिया किसानों के शुभ चिन्तक थे और उनका कहना था कि किसानों की खुशहाली से ही देश की खुशहाली होगी। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे हरप्रसाद सिंह पटेल ने कहा कि विदेशों से आयात होने वाले सिंथेटिक मेंथा आयल पर टैक्स लगाया जाए, जिससे यहां के किसानों का मेन्था अधिक मूल्य पर बिक सके। कार्यशाला में सीमैप विश्व विद्यालय के लखनऊ से आए वैज्ञानिक डाक्टर सौदान सिंह एवं डाक्टर संजय कुमार ने किसानों को विस्तार से मेन्था की खेती करने की नवीन कृषि पद्धति की जानकारी देते हुए गेहूं के साथ मेंथा प्याज के साथ मेन्था भिंडी के साथ मेंथा, गन्ने के साथ मेंथा की खेती करने के अलावा सर्वगंधा सतावर, नीबू घास आदि औषधीय खेती करने की विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई। जिलाधिकारी ने दोनों वैज्ञानिकों को शॉल उढ़ाकर सम्मानित किया और फीता काटकर किसान मेले का उद्घाटन किया।