किरन कांत
उत्तराखंड में मसूरी स्थित आईएएस प्रशिक्षण संस्थान लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में फर्जी कागजात के आधार पर बतौर ट्रेनी अफसर सात महीने तक रहने की आरोपी रूबी चौधरी फरार बताई जा रही थी, लेकिन वह आज मीडिया के सामने आ गई। आश्चर्य की बात यह है कि पुलिस जिसे फरार बता रही थी, वह रूबी गेस्ट हाउस में ही ठहरी हुई थी।
मीडिया के सामने आई रूबी ने उल्टा आरोप लगाया कि अकादमी के डायरेक्टर सौरभ जैन ने नौकरी देने के बहाने बीस लाख रुपए लिए थे, वह पांच लाख रूपये एडवांस दे चुकी है, साथ ही कहा कि सौरभ जैन ने ही उसे अकादमी में रहने के लिए फर्जी कागजात उपलब्ध कराए। रूबी का यह भी आरोप है कि खुलासा होने पर मुंह बंद रखने के लिए उसे 5 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया।
मीडिया के सामने आई रूबी ने बताया कि उसे अकादमी में ट्रेनी के तौर पर सात महीने तक रखा गया, लेकिन नौकरी नहीं दी गई। उसकी सिर्फ इतनी गलती थी कि उसने सौरभ जैन को नौकरी पाने की लालसा में 5 लाख रुपए दिए थे। उसके विरुद्ध थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद उसके लिए अब सामाजिक प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। बोली- अगर इस मामले में उसकी कोई गलती हो, तो उसे जेल भेज दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि अकादमी की ओर से रूबी के विरुद्ध थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है कि रूबी चौधरी पुत्री सत्यवीर सिंह, निवासी ग्राम कुटबा, जिला मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) फर्जी दस्तावेज के आधार पर स्वयं को प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी बताते हुए सितंबर- 2014 से अकादमी में रह रही थी। शिकायत में यह भी कहा गया है कि इस दौरान वह अकादमी के मुख्य स्थानों पर घूमती थी और उस पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं थी, लेकिन 27 मार्च 2015 को रूबी अचानक गायब हो गई। उसके गायब होने के बाद उसके कमरे की तलाशी ली गई, तो वहां प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान- नैनीताल की तरफ से जारी एक पहचान पत्र मिला, जिसमें रूबी को एसडीएम दर्शाया गया है। शिकायत में यह भी लिखा है कि रूबी चौधरी देवी सिंह नाम के सुरक्षा गार्ड के क्वार्टर और लाइब्रेरी में जाती थी। उक्त प्रकरण में केंद्र सरकार ने अकादमी के डिप्टी डायरेक्टर सौरभ जैन से स्पष्टीकरण मांगा है।