यह सच है कि यौन शोषण की वारदातों को लेकर उत्तर प्रदेश में नित नये रिकॉर्ड बन रहे हैं, लेकिन जिस तरह से यौन शोषण की वारदातों को प्रचारित व प्रसारित किया जा रहा है, वह भी सच नहीं है। प्रथम दृष्टया यही नजर आ रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से यौन शोषण की झूठी वारदातों को भी जमकर प्रचारित व प्रसारित किया जा रहा है। वाट्सएप पर वायरल हुए वीडियो को पीलीभीत और बदायूं की एक विवाहिता से जोड़ दिया गया है, जबकि खबर में जो विवाहिता बताई जा रही है, वह वीडियो में है ही नहीं। फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट भी आ गई है, जिसमें वीडियो पर सवाल उठा दिए गये हैं, जिससे झूठी खबर प्रचारित व प्रसारित करने वाले अखबार और चैनल की जमकर फजीहत हो रही है।
सनसनीखेज वारदात बता कर प्रचारित व प्रसारित की गई खबर में बताया जा रहा है कि दलित वर्ग की 25 वर्षीय एक विवाहिता पीलीभीत जिले के एक गाँव की रहने वाली है और बदायूं जिले के एक गाँव में उसकी शादी हुई है, उसका पति अंबाला में नौकरी करता है, जहाँ वह पति के साथ ही रहती थी। वह चार महीने की बेटी के साथ पीलीभीत स्थित मायके आई थी और वहां से 23 नबंवर को बदायूं के लिए निकली थी। बरेली पहुंच कर बदायूं जाने वाली बस में बैठने के बाद से वह गायब बताई जा रही है। खबर में बताया गया है कि पीलीभीत जिले में स्थित सुनगढ़ी थाना क्षेत्र की असम पुलिस चौकी में बेटी के गायब होने की पिता ने 24 नबंवर को ही सूचना दे दी, पर पुलिस ने विशेष रूचि नहीं ली।
वाट्सएप पर वायरल हुए एक वीडियो में लगभग छः लड़के एक युवती का जंगल में यौन शोषण करते नजर आ रहे हैं, इस वीडियो को अखबार और कई टीवी चैनलों ने उक्त विवाहिता से जोड़ दिया और अपहरण कर उसके साथ यौन शोषण करने का दावा किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ सरकार को भी खुल कर बदनाम किया जा रहा है, लेकिन यह सच नहीं है। परिजनों का कहना है कि वीडियो में दिखाई जा रही विवाहिता कोई और है। वीडियो मुरादाबाद स्थित फोरेंसिक लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया था। सूत्रों का कहना है कि लैब ने भी वीडियो पर सवाल उठाये हैं। वीडियो नबंवर माह से भी पहले का बताया जा रहा है, साथ ही वीडियो में दिख रहे चेहरे उत्तर प्रदेश से बाहर के बताये जा रहे हैं, यह सब खुलासा होने के बाद से झूठी खबर प्रचारित व प्रसारित करने वाले अखबार व चैनलों की जमकर फजीहत हो रही है।