नेट प्रचार नाम की एक और फर्जी कंपनी ने लोगों के हजम किये पांच करोड़

नेट प्रचार नाम की एक और फर्जी कंपनी ने लोगों के हजम किये पांच करोड़

एक ऐसा वर्ग तैयार हो गया है, जो बैठे-बैठे पल भर में धनपति बनना चाहता है और ऐसा करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इस वर्ग के लोगों के पास बहुत तेज दिमाग है, लेकिन दिमाग का सदुपयोग कर सकारात्मक कदम उठाने की जगह लोगों को ठगने की नई-नई योजनायें बनाने लगते हैं, इनकी ही सोच के लोग समाज में भी बड़ी संख्या में हैं, जो आसानी से फंस जाते हैं। तमाम फर्जी योजनायें आ चुकी हैं, जो आम जनता के अरबों रूपये हड़प कर भाग चुकी हैं, फिर भी लोग सबक नहीं लेते। हाल ही में नेट प्रचार नाम से एक कंपनी आई थी, जो करोड़ों रुपया हड़प कर भाग चुकी है, इसके झांसे में आ चुके लोग किसी से शिकायत तक नहीं कर पा रहे हैं कि वे ठगे जा चुके हैं।

जी हाँ, http://www.netprachar.com/ नाम से एक कंपनी आई थी, जिसका कहना था कि वह न रूपये लेती है और न देती है, वह लोगों के बीच आपस में ही रुपयों की चैरिटी कराती है, इस लेने-देने में जो मुनाफा होता है, वह स्वतः आपस में बंटता रहता है। इस कथित कंपनी से लोग जुड़ते चले गये। जुड़ने के लिए यूजर को पहले एकाउंट बनाना पड़ता था, फिर एक हजार से लेकर यूजर दस हजार तक, रूपये जमा कर सकता था, जिस पर उसे 5 प्रतिशत कमीशन मिलता था, वापस 10 से 45 दिन के बीच में ले सकता था, इस कथित कंपनी से दस लोग जोड़ने वाले को गाइडर बना दिया जाता था और वे दस लोग और दस लोग जोड़ लेते थे, तो पहले वाले को मोटीवेटर बना दिया जाता था, जिसे वेतन भी दिया जाता था। रूपये का लेन-देन बैंक और पेटीएम द्वारा किया जाता था। यूजर के अंदर विश्वास जागृत करने के लिए जमा करने की रकम जान कर दस हजार तक रखी गई थी, एक-दो यूजर को पुरस्कृत भी किया गया था, एक यूजर को आईफोन- 7 दिया गया था, इससे विश्वास बढ़ता चला गया। शुरुआत में लोग एक हजार रूपये जमा कर जुड़ते रहे, उन्हें आर्थिक लाभ हुआ, तो अपनी राशि बढ़ाते गये, वहीं अपने सगे-संबंधियों को भी जोड़ते गये, जिससे कम समय में ही हजारों लोग कथित कंपनी से जुड़ गये।

कथित कंपनी के यूजर का टर्न-ओवर करोड़ों में होने लगा, तभी अचानक से साइट ने काम करना बंद कर दिया। दो-चार दिन तक यूजर यही समझते रहे कि इंटरनेट की समस्या होगी, लेकिन 20 दिन तक भी यूजर के रूपये नहीं लौटे, तब सब समझ गये कि उनके रूपये अब हड़प लिए गये हैं। बताया जाता है कि कथित कंपनी लगभग पांच करोड़ रूपये हड़प कर भागी है। साइट कहां से ऑपरेट होती है और कौन ऑपरेट करता है, इस बारे में साइट पर कोई जानकारी नहीं है, पर सूत्रों का कहना है कि बरेली और बदायूं के कुछ शातिर किस्म के लोगों ने इस साइट को बनवाया था और वही इसे ऑपरेट कर रहे थे, लेकिन पुलिस की आईटी टीम के लिए खोजना मुश्किल नहीं होगा, क्योंकि हड़पी गई रकम अंतिम बार किन बैंक खातों में गई है, यह आसानी से पता लगाया जा सकता है। हालांकि बैंक खाते भी फर्जी आईडी पर खुले होने की संभावना जताई जा रही है। बदायूं, बरेली के एसएसपी, बरेली के एडीजी और प्रदेश के डीजीपी को स्वतः संज्ञान लेकर इस कथित कंपनी के विरुद्ध कर्रवाई करानी होगी, क्योंकि यूजर स्वयं डरे हुए हैं कि शिकायत करने पर कहीं वे न फंस जायें। भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों के अनुसार रुपयों का लेन-देन उसकी अनुमति के बिना कोई नहीं कर सकता और फिर यहाँ तो आम जनता के विश्वास की हत्या भी की गई है।

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