बदायूं जिले के छुटभैयों और बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने मिल कर बच्चों के हक पर डाका डाल लिया। बच्चों की ड्रेस बनाने को आये साढ़े सात करोड़ रूपये मिल कर डकार लिए। बड़े पैमाने पर हुई अनियमितता पर प्रशासनिक अफसर भी मौन धारण किये हुए हैं।
जी हाँ, बेसिक शिक्षा विभाग के माध्यम से सरकार बच्चों को दो जोड़ी ड्रेस देती है, जिसकी कीमत चार सौ रूपये है। बदायूं जिले को साढ़े सात करोड़ रूपये मिल चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा के छुटभैयों ने ब्लॉकवार बंदरबाँट कर लिया और विभागीय अफसरों को सहभागी बना कर रुपया हजम कर लिया।
नियमानुसार प्रधान, प्रधानाचार्य और एनपीआरसी की देख-रेख में प्रत्येक स्कूल में जाकर टेलर को प्रत्येक बच्चे का नाप लेना चाहिए और मानक के अनुरूप खरीदे गये कपड़े की ड्रेस बनानी चाहिए, लेकिन बदायूं के पनबड़िया चौराहे पर स्थित एक गारमेंट की दुकान से सभी माफियाओं ने ड्रेस खरीद कर कुछेक स्कूलों में भिजवा दीं। बताते हैं कि चार सौ रूपये कीमत की ड्रेस 60-70 रूपये में तैयार करा दी गई है, जिसे पहन कर बच्चे बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते।
सूत्र बताते हैं कि घोटाले में जिला समन्वयक पीसी श्रीवास्तव और बीएसए प्रेम चंद यादव की बराबर की भागीदारी है। सूत्रों का कहना है कि अपने हिस्से के बच्चों के हिसाब से छुटभैये नेता सौ रूपये प्रति बच्चे के हिसाब से रूपये वसूल लेते हैं और इतने ही रूपये विभागीय अफसर लेते हैं, शेष रूपये में ड्रेस माफिया अपना हिस्सा निकाल कर ड्रेस तैयार करा देता है।
ड्रेस बनाने को आये साढ़े सात करोड़ रुपयों का बंदरबाँट हो चुका है, जिसकी जानकारी सभी को है, लेकिन प्रशासनिक अफसर भी मौन हैं। प्रधानाचार्य और प्रधान भी कार्रवाई होने के भय से मौन धारण किये हुए हैं, इसलिए ड्रेस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच होनी आवश्यक है।
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