बदायूं जिले में शासनादेश को दरकिनार कर तृतीय श्रेणी कर्मचारी पंचायत निरीक्षक को जिला पंचायत राज अधिकारी का कार्यभार देने का प्रकरण राज्यपाल के दरबार में पहुंच गया है। सीडीओ शेषमणि पांडेय पर जातिवाद के चलते नियम विरुद्ध आदेश करने का आरोप लगा है।
उल्लेखनीय है कि तृतीय श्रेणी कर्मचारी पंचायत निरीक्षक शशिकांत शर्मा को जिला पंचायत राज अधिकारी का कार्यभार दे दिया गया है, जबकि स्पष्ट शासनादेश है कि जिला पंचायत राज अधिकारी न होने की दशा में जिला स्तरीय अफसर को कार्यभार दिया जायेगा, इसके अलावा अपरिहार्य परिस्थितियों में खंड विकास अधिकारी और वरिष्ठ एडीओ (पंचायत) को भी कार्यभार दिया जा सकता है। बदायूं जिले में देवेन्द्र कुमार सिंह जिला पंचायत राज अधिकारी के पद पर तैनात हैं, लेकिन वे छुट्टी पर जाने के बाद लौटे, तो मुख्य विकास अधिकारी शेषमणि पांडेय ने उन्हें कार्यभार नहीं दिया, उनकी संस्तुति पर जिलाधिकारी ने तृतीय श्रेणी कर्मचारी शशिकांत शर्मा को जिला पंचायत राज अधिकारी का कार्यभार दे दिया, जबकि बदायूं में सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी के पद पर दिनेश सिंह तैनात है, साथ ही उझानी ब्लॉक में तैनात एडीओ (पंचायत) रमेश चंद्र राठौर वरिष्ठता क्रम में शीर्ष पर बताये जाते हैं एवं जिले में कई खंड विकास अधिकारी भी हैं।
उक्त प्रकरण जिले भर चर्चा का विषय बना हुआ है। हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष अंकित कुमार सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिख कर पूरे प्रकरण की शिकायत की है। शिकायत में आरोप है कि सीडीओ शेषमणि पांडेय ने जातिवाद के चलते शासनादेश के विपरीत शशिकांत शर्मा को कार्यभार दिया है। उन्होंने राज्यपाल से सीडीओ की जाँच कराने की मांग की है। यहाँ यह भी बता दें कि समाजवादी पार्टी की सरकार में जिला पंचायत राज अधिकारी न होने की स्थिति में खंड विकास अधिकारी राजेश कुमार यादव को अतिरिक्त कार्यभार दे दिया गया था, जिस पर भाजपा नेता उस समय कड़ी आपत्ति करते थे, लेकिन भाजपा सरकार में सीडीओ ने तृतीय श्रेणी कर्मचारी को प्रभारी डीपीआरओ बना रखा है।
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