बदायूं में जिला पंचायत का अध्यक्ष समाजवादी पार्टी का बनाये जाने को लेकर जनता इसलिए उत्साहित थी कि सत्ता पक्ष के चलते जिले भर में अभूतपूर्व विकास कार्य होंगे, लेकिन समाजवादी पार्टी के समस्त जनप्रतिनिधियों ने विकास का भार सांसद धर्मेन्द्र यादव के कंधों पर ही छोड़ दिया है और वे स्वयं को सिर्फ विकास राशि का बंदरबांट करने का अधिकारी मानते हैं। विकास राशि का बंदरबांट करने को लेकर पिछले दिनों जिला पंचायत कार्यालय में हाथापाई तक हो गई थी। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद हालात सामान्य हो पाये थे, इसके बावजूद जिला पंचायत के अफसर सुधरने को तैयार नजर आ रहे।
जिला पंचायत ने पिछले दिनों 273 टेंडरों की विज्ञप्ति जारी की थी, जिनके बिकने की 12 अगस्त अंतिम तिथि थी, लेकिन 13 अगस्त तक भी टेंडर नहीं बेचे गये हैं। टेंडर डालने वाला डिब्बा खुला पड़ा है। आरोप है कि एएमए हरपाल सिंह, इंजीनियर संजय शर्मा और बाबू चरन सिंह मिल कर अपने चहेतों के नाम कार्य का विभाजन कर रहे हैं, जबकि टेंडर खरीदने के लिए ठेकेदार आज भी जिला पंचायत के बाहर जुटे रहे।
सूत्रों का कहना है कि जिला पंचायत में दलाल व्यवस्था हावी है, साथ ही राजनैतिक हस्तक्षेप भी बहुत है, जिससे नियमानुसार कार्य नहीं हो पाता। आज कमरे का ताला बंद कर एएमए हरपाल सिंह, इंजीनियर संजय शर्मा और बाबू चरन सिंह धन का बंदरबांट करने की सूची तैयार कर रहे थे, तभी मीडियाकर्मी पहुंच गये, जिन्हें बाबू चरन सिंह ने फोटो खींचने पर हड़काने का प्रयास किया। यहाँ यह भी बता दें कि पिछली बार पूनम यादव जिला पंचायत की अध्यक्ष थीं, पर विपक्ष में होते हुए भी उनके कार्यकाल में ऐसी घटनायें नहीं हुईं, अब जबकि सत्ता पक्ष की मधु चन्द्रा अध्यक्ष हैं, तो पुलिस बुलानी पड़ जाती है, जिससे जिला पंचायत की गरिमा को ठेस पहुंच रही है।