बदायूं के जिला अस्पताल में तैनात लोकप्रिय डॉक्टर को विभाग ने मृत घोषित कर दिया। जानकारी होने पर डॉक्टर ने लखनऊ स्थित संबंधित अफसरों को अवगत कराया, तो न दोषियों को दंडित किया गया और न ही भूल का सुधार किया गया। पीड़ित डॉक्टर उच्च न्यायालय की शरण में चले गये, जिस पर न्यायालय ने सुनवाई के बाद विभाग को चार सप्ताह का समय दिया है।
बदायूं स्थित जिला चिकित्सालय में फिजीशियन के रूप में डॉक्टर हरपाल सिंह तैनात हैं, जो आम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। जिला अस्पताल की रीढ़ डॉ. हरपाल सिंह को ही कहा जाता है, वे ओपीडी में नियमित बैठते हैं, साथ ही जो काम कोई नहीं करता, उस पर भी उन्हें जुटा दिया जाता है और वे खुशी-खुशी करते भी हैं, इसीलिए वे लोकप्रिय हैं, ऐसे डॉक्टर को लखनऊ स्थित चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने मृत घोषित कर दिया, इसका खुलासा तब हुआ, जब जनवरी- 2017 में प्रमोशन की लिस्ट जारी की गई। लिस्ट में नाम न होने पर हरपाल सिंह ने लखनऊ संपर्क किया, तो उन्हें बताया कि वे तो मृतक घोषित किये जा चुके हैं।
डॉ. हरपाल सिंह स्वयं को मृतक घोषित करने पर स्तब्ध रह गये, उन्होंने इस पर आपत्ति की, तो भी विभाग ने न दोषियों को दंडित किया और न ही हरपाल सिंह को जीवित किया। छानबीन के बाद इतना पता चल गया कि मेरठ में जेल के अंदर अस्पताल में हरपाल सिंह नाम के एक डॉक्टर तैनात थे, जिनकी वर्ष- 2011 में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी, उनकी जगह जीवित हरपाल सिंह को भी मृत दर्शा दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि हरपाल सिंह को प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है एवं प्रत्येक छः महीने पर मुख्यालय को रिपोर्ट भी भेजी जाती है, इसके बावजूद गलती पकड़ में नहीं आई। विभाग से अपेक्षित सहयोग न मिलने पर डॉ. हरपाल सिंह उच्च न्यायालय- इलाहाबाद की शरण में चले गये, जिस पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने विभाग को चार सप्ताह का समय दिया है कि हरपाल सिंह को न सिर्फ जीवित माना जाये, बल्कि उनका विधिवत प्रमोशन भी किया जाये।
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