सेटिंग के हथियार का वार कभी खाली नहीं जाता। उच्च स्तरीय राजनैतिक संबंध रखने वाले चर्चित खंड विकास अधिकारी राजेश यादव को ही जिलाधिकारी शंभूनाथ यादव ने प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी बना दिया है, जिसकी सरकारी विभागों में व्यापक चर्चा हो रही है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व खंड विकास अधिकारी राजेश यादव ही प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी थे। एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में जनहित याचिका दायर कर प्रभारियों को हटाने की मांग थी, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया था और शासन को प्रभारी अधिकारी हटाने के निर्देश दिए थे, जिस पर कार्रवाई करते हुए शासन ने बदायूं में राजेश यादव को भी हटा दिया और अलीगढ़ के जिला पंचायत राज अधिकारी दिनेश सिंह को बदायूं का अतिरिक्त कार्यभार दे दिया था। बताया जाता है कि दिनेश सिंह बहुत तेजतर्रार अफसर थे और किसी का भी अनैतिक कार्य नहीं करते थे, साथ ही उन पर बेहद दबाव था, इसलिए उन्होंने समस्त सफाई कर्मियों का संबद्धीकरण समाप्त करने का आदेश दे दिया, जिससे जिले के वरिष्ठ अफसर व नेता उनके पीछे पड़ गये और उनका बदायूं का प्रभार छुड़वा दिया, इसलिए यहाँ पद रिक्त चल रहा था।
जिला पंचायत राज अधिकारी का पद रिक्त होते ही कई अधिकारी प्रभारी बनने की सेटिंग में जुट गये, लेकिन मुख्य विकास अधिकारी ने उच्च स्तरीय राजनैतिक संबंध रखने वाले राजेश यादव को ही प्रभारी बनाने की संस्तुति करते हुए अनुमोदन के लिए फाइल जिलाधिकारी शंभूनाथ यादव के पास भेजी, पर उन्होंने अनुमोदन नहीं किया और शासन को पत्र प्रेषित कर जिला पंचायत राज अधिकारी तैनात करने अथवा राय देने की मांग की। जिलाधिकारी के पत्र पर शासन ने जवाब भेजा कि जिलाधिकारी स्वयं निर्णय लेकर किसी भी उच्च स्तरीय अधिकारी को कार्यभार दे दें, इस पर जिलाधिकारी शंभूनाथ यादव ने खंड विकास अधिकारी राजेश यादव को ही प्रभार दे दिया, जबकि राजेश यादव उच्च अधिकारी की श्रेणी में नहीं आते। राजेश यादव ने आज ही ऐतिहासिक अंदाज़ में कार्यभार ग्रहण भी कर लिया। यहाँ यह भी बता दें कि जिला पंचायत राज अधिकारी का पद अब मलाईदार माना जाता है, क्योंकि अधिकाँश सफाई कर्मचारी गाँव में तैनाती के दौरान ड्यूटी नहीं करते, जिससे उनका वेतन निकालने के बदले प्रति व्यक्ति एक-डेढ़ हजार रूपये वसूले जाते हैं, साथ ही प्रधानों से मिलने वाला हिस्सा पहले से ही आता है, इसीलिए जिला पंचायत राज अधिकारी का प्रभार पाने वालों की लंबी लाइन लगी थी, जिसमें सेटिंगबाज राजेश यादव विजयी रहे हैं।
खैर, जिलाधिकारी के इस आदेश की सरकारी विभागों में व्यापक स्तर पर चर्चा की जा रही है और लोग कहते सुने जा रहे हैं कि पहले हाईकोर्ट के निर्देश पर हटाए गये, फिर जिलाधिकारी ने सीडीओ की फाइल को अनुमोदित नहीं किया और उसी राजेश यादव को जिलाधिकारी ने स्वयं कार्यभार दे दिया।
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