शाहजहाँपुर के बहशी कथित संत चिन्मयानंद पर शिंकजा न कसने का एसआईटी पर आरोप लग रहा है। बहशी चिन्मयानंद की सताई छात्रा और तमाम राजनैतिक दलों के बड़े नेता एसआईटी पर आरोप लगा रहे हैं, फिर भी एसआईटी यौन उत्पीड़न के प्रकरण में कार्रवाई नहीं कर रही है, जबकि एसआईटी रूपये मांगने के लिए किये गये मैसेज के पक्ष में साक्ष्य जुटाने में पूरी ताकत से जुटी हुई नजर आ रही है।
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उच्चतम न्यायालय के आदेश पर छात्रा को न्याय दिलाने के लिए एसआईटी गठित की गई थी। एसआईटी की भूमिका विवेचना में तटस्थ रहे, इसलिए तेजतर्रार आईपीएस अफसरों को शामिल किया गया, साथ ही निगरानी का दायित्व उच्च न्यायालय इलाहाबाद को सौंप दिया, इसके बावजूद एसआईटी तटस्थ नजर नहीं आ रही है।
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यौन उत्पीड़न के प्रकरण में बहशी चिन्मयानंद जेल जा चुका है लेकिन, अपने राजनैतिक कद का दुरूपयोग करते हुए लखनऊ स्थित मेडिकल कॉलेज में आराम फरमा रहा है, इसके उलट छात्रा शाहजहाँपुर स्थित जेल में बंद है। बहशी चिन्मयानंद की मदद करने वाले गैंग का एक भी सदस्य जेल नहीं गया है, जबकि दूसरे पक्ष से छात्रा सहित चार लोग जेल भेजे जा चुके हैं।
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एसआईटी आईपीसी के दायरे में बहशी चिन्मयानंद की जाँच कर रही है और उसे लाभ पहुंचाती नजर आ रही है। यौन उत्पीड़न की धारा- 376 की जगह बहशी चिन्मयानंद पर 376 (सी) लगाई गई है, जो अधीनस्थ के साथ सहमति से सहसवास करने पर लगाई जाती है, जबकि उक्त प्रकरण में ऐसा नहीं हुआ है। पीड़िता छात्रा है, उसे बहशी चिन्मयानंद के गैंग के सदस्य प्रलोभन देकर चिन्मयानंद तक लाये थे, जिसके बाद उसे नौकरी दी गई। अपराध नौकरी देने से पहले हुआ है, जिससे उक्त प्रकरण में अधीनस्थ वाली अवस्था नहीं है।
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बहशी चिन्मयानंद का गैंग कॉलेज में ऐसी लड़कियों पर नजर रखता है, जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, साथ ही लड़की को पैसे की बहुत जरूरत हो, ऐसी लड़की को गैंग के सदस्य बड़े ही शातिर तरीके से बहशी चिन्मयानंद तक पहुंचा देते हैं, जिसके बाद बहशी चिन्मयानंद अपने जाल में फंसा लेता है। उक्त पीड़िता के साथ भी ऐसा ही हुआ है। बहशी चिन्मयानंद ने पीड़िता का धूम-धाम से बर्थ डे मनाया था, उसे कॉलेज से स्कूटी गिफ्ट में दिलाई थी, ऐसे ही अन्य तमाम तरह के प्रलोभन देकर उसे टूटने को मजबूर किया गया लेकिन, बहशी चिन्मयानंद के गैंग के एक भी सदस्य को अभी तक जेल नहीं भेजा गया है। बहशी चिन्मयानंद के साथ शंभू और आदेश नाम के नौकर साये की तरह रहते हैं, जो कटोरी, तेल आदि की व्यवस्था करते हैं एवं गेट पर बैठ कर ररखवाली करते हैं, इनको भी अभी तक जेल नहीं भेजा गया है।
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इसके अलावा बहशी चिन्मयानंद के साथ एसआईटी सामान्य अपराधी की तरह व्यवहार कर रही है, जबकि वह गिरोहबंद अपराधी है, साथ ही वह संत के रूप में था, जिसकी प्राथमिकता ब्रह्मचर्य का पालन करना है। घोषित ब्रह्मचारी किसी भी अवस्था में सहसवास नहीं कर सकता। एसआईटी बहशी चिन्मयानंद पर ब्रह्मचारी के रूप में कार्यवाई करती तो, वह 376 (सी) के अंतर्गत कार्रवाई नहीं कर पाती। एसआईटी धार्मिक पहलू को पूरी नजर अंदाज करती नजर आ रही है, जबकि देश के प्रतिष्ठित अखाड़ों ने बहशी चिन्मयानंद का बहिष्कार कर दिया है। आईपीसी जितना ही महत्वपूर्ण है धार्मिक पक्ष, जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। एसआईटी को नये सिरे से विचार करना चाहिए कि घोषित ब्रह्मचारी पर किस धारा के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है।
बहशी चिन्मयानंद पर हल्की कार्रवाई करना और फिर उसका मेडिकल कॉलेज में भर्ती हो जाना, साथ ही छात्रा सहित चार लोगों पर कड़ी कार्रवाई करना जैसे मुद्दे एसआईटी और सरकार पर संदेह करने को मजबूर करते ही हैं। एसआईटी को तटस्थ दिखने के लिए और सम्मान पाने के लिए बहशी चिन्मयानंद के गैंग पर भी तत्काल शिंकजा कसना चाहिए। छात्रा को न्याय दिलाने के उद्देश्य से कांग्रेस सोमवार से पद यात्रा निकालने जा रही है। एसआईटी की भूमिका सराहनीय रही होती तो, कांग्रेस ऐसा कदम नहीं उठा पाती, इसलिए एसआईटी को आत्ममंथन करते हुए अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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