शाहजहांपुर की छात्रा के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह आरोपी पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद की जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करे। न्यायालय का यह भी आदेश है कि एसआईटी का नेतृत्व आईजी स्तर का अधिकारी करेगा, साथ ही उच्चतम न्यायालय ने छात्रा और उसके भाई का नामांकन अन्य संस्थान में कराने का आदेश दिया है। छात्रा ने कहा है कि चिन्मयानंद के ट्रस्ट द्वारा संचालित कॉलेज में पढ़ने को लेकर दहशत में है।
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उल्लेखनीय है कि शाहजहांपुर की एक छात्रा ने एक वीडियो क्लिप के द्वारा चिन्मयानंद पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। वीडियो में छात्रा ने अपने और अपने परिवार पर खतरा होने की बात कही थी, जिसके आधार पर छात्रा के पिता ने 27 अगस्त को कि शाहजहांपुर स्थित चौक कोतवाली में चिन्मयानंद के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने उच्च स्तरीय दबाव के बाद मुकदमा दर्ज किया था, जबकि आरोप लगाने से पहले से छात्रा लापता थी।
उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था, जिसके बाद न्यायाधीश आर. भानुमति और ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई शुरू कर दी। छात्रा राजस्थान में पाई गई, जिसे न्यायालय ने अपने पास बुलवा लिया और दिल्ली पुलिस की अभिरक्षा में दे दिया। छात्रा के आग्रह पर न्यायालय ने छात्रा के माता-पिता को भी दिल्ली बुलवा लिया। सोमवार को पुनः सुनवाई की गई, जिसके बाद न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह आरोपी पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद की जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करे। एसआईटी का नेतृत्व आईजी स्तर का अधिकारी करे, साथ ही छात्रा और उसके भाई का नामांकन अन्य संस्थान में कराये।
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