संभल जिले की तहसील चंदौसी के विवादित एसडीएम प्रति पाल सिंह चौहान को रिश्वतखोरी का मुकदमा दर्ज होने के बावजूद निलंबित नहीं किया गया है। जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली भाजपा सरकार रिश्वतखोरी के प्रकरण को गंभीरता से नहीं ले रही है, जिससे आम जनता के बीच जीरो टॉलरेंस के दावे की भी पोल खुलती नजर आ रही है।
उल्लेखनीय है कि गुन्नौर तहसील के रजपुरा थाना क्षेत्र में स्थित गाँव मेहुआ हसनगंज निवासी सोपाली सिंह की पत्नी रामवती वर्ष- 2015 में ग्राम प्रधान के चुनाव में मामूली वोटो के अंतर से हार गई थी। चुनाव में हारने पर उसने मतगणना पर सवाल उठाते हुए न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायालय के आदेश के बाद पुनर्मतगणना के लिए गुन्नौर के एसडीएम रहे प्रति पाल सिंह चौहान ने निष्पक्ष मतगणना कराने के लिए पीड़ित से साढ़े तीन लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी।
एसडीएम प्रति पाल सिंह चौहान की पत्नी रागिनी चौहान के बैंक खाते में ढाई लाख की रकम ट्रांसफर करा दी गई, जबकि एक लाख रुपए एसडीएम प्रतिपाल सिंह चौहान को नगद दिए गये थे। सोपाली का आरोप है कि एसडीएम ने साढ़े तीन लाख की रिश्वत लेने के बाद भी निष्पक्ष मतगणना नहीं कराई, जिस कारण वह चुनाव हार गया।
चुनाव हारने के बाद एसडीएम प्रति पाल सिंह चौहान से पीड़ित ने साढ़े तीन लाख रूपये वापस मांगे तो, एसडीएम ने उसे धमकाना शुरू कर दिया। पीड़ित सोपाली ने डीएम आनंद कुमार सिंह को शपथ पत्र देकर गुहार लगाई है कि आरोपी एसडीएम से रकम वापस दिलाई जाये एवं कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाये।
उक्त प्रकरण की जाँच एडीएम राजेन्द्र सिंह यादव को सौंपी गई है, वहीं एसडीएम प्रति पाल सिंह चौहान, उनके पेशगार, मध्यस्थता करने वाले एक पत्रकार सहित पांच लोगों के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करा दिया गया है लेकिन, चौबीस घंटे बाद भी शासन ने एसडीएम को निलंबित नहीं किया है और न ही हटाया है, जबकि मुकदमा दर्ज होते ही निलंबन की कार्रवाई हो जानी चाहिए, इस प्रकरण से भाजपा सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावे की पोल खुल गई है। यह भी बता दें कि प्रति पाल सिंह चौहान विवादित व्यक्ति हैं, इन पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
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