उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी शराब सिंडिकेट को समाप्त करना चाहते थे। शराब के कारोबार को मफियाराज से मुक्त करने के उद्देश्य से उपभोक्ता और प्रदेश के हित में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने नई पारदर्शी शराब नीति बनवाई, जिसे प्रदेश भर में लागू कर दिया गया लेकिन, शराब का कारोबार अभी भी माफियाओं के ही चंगुल में नजर आ रहा है। आबकारी विभाग के साथ पुलिस और प्रशासन से मिल कर माफिया अभी भी जमकर मनमानी करते नजर आ रहे हैं।
मुरादाबाद का एक वीडियो प्रकाश में आया है, जिसमें शराब माफिया के दबंग मैनेजर तीन युवकों को पूरी तरह नंगा कर एक-दूसरे से पिटवाते नजर आ रहे हैं। दृश्य भयावह है, जो कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने को काफी है। लोकतंत्र में युवकों के साथ गुलामों से भी बदतर हरकत की जा रही है, जो मानवता के लिए कलंक ही कही जायेगी। सूत्रों का कहना है कि मुरादाबाद में माफिया के शराब के ठेकों पर सेल्समैन के रूप में तैनात युवकों से कोई गलती हो गई तो, उन्हें कार्यालय बुलाया गया और फिर उन्हें धमका कर पूरी तरह नंगा किया गया, जिसके बाद एक-दूसरे से तीनों को पिटवाया गया।
युवकों ने शराब या, रुपयों में कोई हेरा-फेरी की भी थी तो, उन्हें नौकरी से निकाला जा सकता था, उनके वेतन से रूपये काटे जा सकते थे अथवा, उन्हें पुलिस के हवाले किया जा सकता था, इस तरह अमानवीय हरकत करने का अधिकार शराब माफिया के दबंग मैनेजरों को किसने दे दिया? सवाल यह भी है कि माफिया को किस का संरक्षण प्राप्त है, जो इस तरह की दुस्साहसिक निंदनीय वारदातों को अंजाम दिलवा रहा है?
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की सोच अच्छी थी लेकिन, आबकारी विभाग और पुलिस-प्रशासन में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं, जो सरकार की तुलना में माफिया के ज्यादा विश्वस्त हैं, उन्हीं के दम पर नई शराब नीति भी माफिया का कुछ नहीं बिगड़ पाई। बताया जा रहा है कि 70% दुकानें माफिया के ही कब्जे में हैं, जहाँ पहले की ही तरह खुलेआम मनमानी की जा रही है। माफियाओं की खुली मनमानी देख कर लोग सरकार को भी कठघरे में खड़ा करने से नहीं चूकते। शराब के अवैध धंधे को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने यूपीकोका भी बनाया था, इस वीडियो के सामने आने से सरकार और कानून की साख गिरी है, इसलिए आम जनता त्वरित और कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा कर रही है।
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