तराई क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन चुका बग्गा एसटीएफ के निशाने पर आ गया। खीरी जिले के निघासन थाना क्षेत्र में एसटीएफ ने बग्गा को मार गिराया। जघन्य वारदातों को अंजाम देकर नेपाल भाग जाता था, जिससे बग्गा पर पुलिस शिंकजा नहीं कस पा रही थी। खूंखार अपराधी बग्गा पर संगीन धाराओं के अंतर्गत तमाम विभिन्न स्थानों पर मुकदमे दर्ज हैं, इनमें एक सिपाही की हत्या करना भी शामिल है।
निघासन थाना क्षेत्र में ही 23 जनवरी 2015 को पुलिस ने बग्गा घेर लिया था,तब बग्गा का साथी डालू गुप्ता मुठभेड़ में मारा गया था, लेकिन बग्गा फरार हो गया था। बग्गा पर खूंखार वारदातों के चलते पचास हजार से बढ़ा कर एक लाख इनाम घोषित करने की संस्तुति की गई थी। बग्गा लगातार रंगदारी वसूल रहा था, जिससे बग्गा को गिरफ्तार करने को एसटीएफ को विशेष तौर पर जुटाया गया था। बताते हैं कि निघासन थाना क्षेत्र में एसटीएफ ने बग्गा को घेर लिया, लेकिन समपर्ण करने की जगह बग्गा गोली चलाने लगा, तो एसटीएफ ने भी मोर्चा संभाल लिया और फिर आतंक का अंत हो गया।
बग्गा सगाही थाना क्षेत्र के ग्राम मांझा का रहने वाला था। बग्गा को हत्या और बलात्कार के प्रकरण में आजीवन कारावास की सजा कई साल पहले ही दी जा चुकी थी, तब उसे लखीमपुर जेल में बंद किया गया था। जेल में शातिर अपराधी सचिन गुप्ता उर्फ डालू से उसकी दोस्ती हो गई। 10 अगस्त 2013 को डालू लखनऊ से पेशी से वापस लाए जाते समय पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था, इसके एक माह बाद 10 सितंबर 2013 को डालू अपने दोस्त बग्गा को भी कचहरी परिसर से भगा ले गया था, इस दौरान सिपाही विक्रम प्रताप की गोली मार कर हत्या की गई थी।
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