कानपुर जिले में चौबेपुर थाना क्षेत्र के गाँव बिकरू में बीती रात हुई मुठभेड़ में बिल्हौर के सीओ देवेंद्र मिश्र, शिवराजपुर के एसओ महेश यादव, दो सब-इंस्पेक्टर और 4 सिपाहियों के शहीद होने और सात पुलिस कर्मियों के गंभीर रूप से घायल करने के बाद से हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे देश भर में चर्चा का विषय बन गया है। डीजीपी एचसी अवस्थी और गृह सचिव अवनीश अवस्थी के साथ मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। ड्रोन के साथ अन्य तमाम तरह की तकनीकी मदद से स्पेशल जवानों ने अत्याधुनिक हथियारों के मोर्चा संभाल लिया है, साथ ही उसके कुछ साथी हिरासत में ले लिए गये हैं एवं कुछ को मार दिया गया है। शातिर विकास दुबे अभी तक भूमिगत है, जिसे एसटीएफ ने घेर रखा है।
विकास दुबे आम अपराधी नहीं है, इसकी सिस्टम में गहरी पैठ है, इस वारदात के बारे में भी विकास दुबे को पहले से ही जानकारी थी तभी, उसने पुलिस टीम के पहुंचने से पहले गाँव के रास्ते अवरुद्ध करा दिए थे और पहले से घात लगा कर पुलिस पर हमला कर दिया था, जिससे बड़ी जनहानि हुई है। विकास दुबे शिवली थाना क्षेत्र के बिकरु गांव का रहने वाला है, उसका घर बंकर की तरह अति सुरक्षित बताया जाता है, जिसमें किसी के लिए जबरन घुस पाना ना-मुमकिन सा ही है। विकास दुबे वर्ष- 2001 में चर्चा में आया था। राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में विकास दुबे से दर्जा राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या की थी। चौंकाने वाली बात यह है कि इस वारदात में किसी पुलिस कर्मी ने गवाही नहीं दी थी एवं साक्ष्य भी नहीं जुटाये गये थे, जिससे विकास दुबे का कुछ नहीं हुआ। बताया जाता है कि जिला पंचायत सदस्य के लिए विकास दुबे के साथ, संतोष शुक्ला और हरिकृष्ण श्रीवास्तव चुनाव लड़े थे, इस चुनाव में हरिकृष्ण श्रीवास्तव विजयी घोषित हुए थे। विजय जुलूस के दौरान झड़प हुई थी। विकास दुबे पर मुकदमा दर्ज हुआ था, इसी रंजिश के चलते भाजपा नेता संतोष शुक्ला को मौत के घाट उतारा गया था।
इससे पहले विकास दुबे पर वर्ष- 2000 में कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या का आरोप लगा था, इसी वर्ष कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में रामबाबू यादव की हत्या हुई थी, इस वारदात को विकास दुबे ने जेल में रह कर करवाया था। वर्ष- 2004 में केबिल व्यवसायी दिनेश दुबे को मौत के घाट उतारा गया। वर्ष- 2017 में एसटीएफ ने गिरफ्तार कर विकास दुबे को जेल भेज दिया था लेकिन, दरिंदगी का उदाहरण देखिये कि वर्ष- 2018 में चचेरे भाई अनुराग दुबे पर भी जानलेवा हमला करवाया था और इस दौरान भी विकास दुबे जेल में बंद था।
विकास दुबे मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में जमकर फला फूला। वर्ष- 2002 से विकास दुबे जमीनों के धंधे में उतर गया। अवैध कब्जे कराना और अवैध कब्जे हटवाना, अवैध कब्जे कर के विकास दुबे ने अकूत संपदा जुटा ली, उसका साम्राज्य इलाहाबाद और गोरखपुर तक फैला है लेकिन, बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां और चौबेपुर क्षेत्र के साथ ही कानपुर ग्रामीण क्षेत्र में विकास दुबे की दहशत पसरी हुई है, उससे टकराने का साहस किसी में नहीं रहा। बिठूर में विकास दुबे के स्कूल-कॉलेज हैं, एक लॉ कॉलेज भी है।
विकास दुबे पर गंभीर धाराओं के अंतर्गत लगभग 60 मुकदमा दर्ज हैं, इसका तमाम गांवों में फतवा चलता है, वह जिसे समर्थन देता है, वही चुनाव जीत जाता है, तमाम गांवों में निर्विरोध प्रधान चुने जाते रहे हैं, क्योंकि इसकी मर्जी के विरुद्ध कोई खड़ा हुआ तो, उसे मरवा देता है। दहशत के कारण ही विकास दुबे लंबे समय तक प्रधान रहा, नगर पंचायत अध्यक्ष रहा, 15 वर्ष से जिला पंचायत सदस्य पद पर कब्जा जमाये रहा। पहले विकास स्वयं जिला पंचायत सदस्य रहा, इसके बाद चचेरे भाई अनुराग दुबे को निर्वाचित करा दिया और वर्तमान में उसकी पत्नी ऋचा घिमऊ क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य है, जो सपा से चुनाव लड़ी थी, इसलिए नेताओं का विकास दुबे को संरक्षण रहा है।
विकास दुबे के हर राजनैतिक दल में गहरे संबंध रहे हैं। बसपा सरकार में विकास दुबे का प्रभाव बढ़ा, वहीं समाजवादी पार्टी से उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ी थी। हाल-फिलहाल उसकी तस्वीरें भाजपा नेताओं के साथ भी वायरल हो रही हैं मतलब, विकास दुबे राजनैतिक संरक्षण से ही कुख्यात अपराधी बना और राजनैतिक दबाव में ही अपराध की दुनिया में भी आया। विकास दुबे कानपुर में भाजपा की गुटबाजी का लाभ उठाता रहा है। पिछले वर्षों में भाजपा से जुड़े तमाम कार्यकर्ताओं, प्रधानों और पदाधिकारियों की हत्यायें होती रही हैं, तमाम नेताओं का सार्वजनिक स्थलों पर अपमान किया गया है, इन सब वारदातों के पीछे किसी न किसी रूप में विकास दुबे का नाम आता रहा है।
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