उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार का खुलासा होने पर कोतवाल निलंबित

उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार का खुलासा होने पर कोतवाल निलंबित

यूजर- कैसे हैं भाई?, आपका फोन नहीं लग रहा।
सीयूजी नंबर- क्या हाल-चाल हैं, आये नहीं तुम?
यूजर- आऊँगा भाई, एक एसआई है, उसको मंडी चौकी दिलवा दो।
सीयूजी नंबर- कुछ पैसा खर्च कर लेगा?
यूजर- आपके होते हुए भी पैसा लगेगा?
सीयूजी नंबर- मेरे को खुद नोएडा से बुलंदशहर आने में एडीजी को 50 हजार रुपये देना पड़ा।
यूजर- एडीजी सर पैसा लेते हैं क्या?, अगर ऐसा है तो, विजय का डिस्ट्रिक्ट चेंज करा दो।
सीयूजी नंबर- बोल दो एक लिफाफे में 50 हजार रुपये और दूसरे में एप्लीकेशन लेके एडीजी सर के कैंप ऑफिस चला जाए और बाबू जी को दे दे, इंस्पेक्टर परशुराम ने बात की होगी।
यूजर- ओके, एसएसपी कृष्णा सर भी पैसा ले लेते हैं?
सीयूजी नंबर- पैसा कौन नहीं लेता बस, माध्यम पता रहना चाहिए, डायरेक्ट कोई नहीं लेता, यहां भी चार्ज बाद में मिला पहले, इनके एक जानकार के माध्यम से तीन लाख रुपये भिजवाये, अगले दिन चार्ज मिल गया।
सीयूजी नंबर- आना तो मेरे लिए एक वॉच लेते आना ब्रांडेड।
यूजर- ओके, नेक्स्ट संडे आता हूँ, विजय के लिए कॉल कर देना, वो कल जायेंगे मैंने बोल दिया है।
सीयूजी नंबर- ओके।

उक्त वार्तालाप उत्तर प्रदेश पुलिस के अंदर की कहानी बयाँ करने के लिए काफी है। अब तक आम चर्चा थी कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार सपा सरकार की तुलना में कई गुना बढ़ गया है। उक्त वार्तालाप से अब यह सिद्ध भी हो रहा है लेकिन, आत्ममंथन और सुधार की दिशा में अहम कदम उठाने की जगह कोतवाल परशुराम को ही निलंबित कर दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि बुलंदशहर जिले की कोतवाली डिबाई के सीयूजी नंबर और एक यूजर के बीच हुई बात सार्वजनिक हो गई है। डिबाई के कोतवाल का 9454403157 सीयूजी नंबर है, जिससे एक यूजर ने बात की। वार्तालाप में तबादलों में रिश्वत लेने की बात का खुलासा हुआ है। एडीजी और एसएसपी स्तर तक रिश्वत देने का दावा किया गया है। चैट वायरल होते ही हड़कंप मच गया लेकिन, बड़े स्तर पर कार्रवाई करने की जगह परशुराम की ही बलि दे दी गई है। परशुराम को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, साथ ही प्रकरण को लेकर मुकदमा भी दर्ज कराया गया है।

उक्त प्रकरण बेहद गंभीर है, इसकी तथ्यपरक उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए और दोषी पाये जाने पर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए। भ्रष्टाचार बड़ी समस्या है, जिसे निचले स्तर से समाप्त कर पाना संभव नहीं है, पहले उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा। उक्त प्रकरण में कड़ी कार्रवाई कर सरकार आम जनता और भ्रष्टचारियों को यह संदेश दे सकती है कि वह भ्रष्टाचार के विरुद्ध है पर, अभी तक की कार्रवाई से उल्टा संदेश ही जा रहा है।

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