बदायूं जिला गंगा और रामगंगा के बीच में बसा है, इसीलिए यहाँ की भूमि बेहद उपजाऊ है, यहाँ का कण-कण बेशकीमती है। समानुकूल वातावरण मिलने के कारण ही साहित्य की फसल यहाँ हमेशा लहलहाती रहती है। कुछ अंकुर यहाँ की जमीन में ही फूटते हैं तो, कुछ पौधे यहाँ आकर वट वृक्ष बन जाते हैं। यहाँ जन्मे साहित्यकार वैश्विक पटल पर छाये रहते हैं, वहीं यहाँ आकर पले-बढ़े साहित्यकार भी दुनिया भर में छाये हुए हैं, इसके पीछे यहाँ की ऐतिहासिक और उपजाऊ भूमि एवं पानी का ही असर माना जाता है।
बदायूं की साहित्यिक भूमि पर एक और अंकुर फूट चुका है। नाम है भूराज सिंह “राज लॉयर”, यह पेशे से इंग्लिश के प्रवक्ता हैं और अधिवक्ता भी हैं। भूराज सिंह “राज लॉयर” विश्व प्रसिद्ध कृति गीतांजलि का हिन्दी में अनुवाद कर चुके हैं, जिसके 51 गीतों की पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं। भूराज सिंह “राज लॉयर” समकालीन कवियों में सर्वाधिक वाह-वाह लूटने वाले कवि हैं।
भूराज सिंह “राज लॉयर” जनपद की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था स्मृति वंदन से भी जुड़े हैं, उन्हें मुक्तक सम्राट के रूप में जाना जाता है। साहित्यिक रूचि के पाठकों के लिए गौतम संदेश भूराज सिंह “राज लॉयर” के मुक्तक लाया है, जो उनकी ही आवाज में सुने जा सकते हैं। हमें साँपों से लड़ना है, सपेरों से भी लड़ना है। उजालों की हिमायत में अंधेरों से ही लड़ना है, समझ में आ गया है अब हमारी झील का किस्सा, निकल कर जाल से हमको मछेरों से भी लड़ना है।
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