मुझको नहीं समझ सकते तुम, मैं इस युग का व्यक्ति नहीं हूँ

मुझको नहीं समझ सकते तुम, मैं इस युग का व्यक्ति नहीं हूँ

बदायूं जिले के नवीगंज में संतपाल सिंह राठौड़ की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधान परिषद सदस्य डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने की एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आंवला क्षेत्र के सांसद धर्मेन्द्र कश्यप, विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय विधायक राजीव कुमार सिंह “बब्बू भईया” और जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष उमेश सिंह राठौड़ रहे।

माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ववन स्वर्गीय संतपाल सिंह राठौड़ के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में राष्ट्रपति से सम्मानित शिक्षकों कृपाल सिंह, डॉ. जुगल किशोर, असरार अहमद खां, कुंवरसेन व संगीता शर्मा को अतिथिगण द्वारा सम्मान पत्र व अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। संतपाल सिंह राठौड़ स्मृति आदर्श शिक्षक सम्मान- 2018 डॉ. मनोज कुमार वार्ष्णेय एवं हरिश्चंद्र सक्सेना को प्रदान किया गया। आज तक न्यूज चैनल में कार्यरत गीतकार पंकज शर्मा को संतपाल सिंह राठौड़ स्मृति साहित्य सम्मान प्रदान किया गया, इस दौरान पौधारोपण भी किया गया।

कवि अभिषेक अनंत की सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ, जिसके बाद कवियत्री गीतांजलि सक्सेना ने पढ़ा कि …

तिनके तिनके हुआ है घर मेरा।
आंधियों ने उजाड़ा घर मेरा।
वक्त की कुछ हवा चली ऐसी।
अजनबी सा हुआ है नगर मेरा।

 गीतकार पंकज शर्मा ने पढ़ा कि …

समझ में आते नहीं दांव लौट चलें।
चल यार अब अपने गांव लौट चलें।

आंचलिक गीतकार चन्द्र पाल सिंह सरल ने पढ़ा कि …

वैसे तो यह आना जाना चल जाता है।
मगर किसी अपने का जाना खल जाता है।

हास्य कवि पवन शंखधार ने श्रोताओं को गुदगुदाते हुए पढ़ा कि …

जब से भारतीय संस्कृति गुमानाम हुई है।
तब से गली मोहल्ले मे मुन्नी बदनाम हुई है।

टिल्लन वर्मा ने पढ़ा कि …

ऐसा बदला दौर कि हम संबंध निभाना भूल गये।
दुर्बल रिश्तेदारों के घर आना -जाना भूल गये।

मनीष प्रेम ने पढ़ा कि …

चित्र आते रहे चित्र जाते रहे।
हम तो आइना थे सब समाते रहे।
एक नाटक था बस जिन्दगी मंच पर।
रोल जो भी मिला वह निभाते रहे।

भूराज सिंह राजलायर ने पढ़ा कि …
शैतानों की शक्ति नहीं हूँ।
मैं अंधी अनुरक्ति नहीं हूँ।
मुझको नहीं समझ सकते तुम।
मैं इस युग का व्यक्ति नहीं हूँ।

अभिषेक अनंत ने पढ़ा कि …

एसी कमरों से निकले जब सर पे चढ़ी दुपहरी में।
हमें गांव का बूढ़ा पीपल छप्पर खटिया याद आयी।

सराफत समीर ने पढ़ा कि …

जुनू आग लगाता तो है शहर में मगर।
इसी शहर में तेरा भी तो घर है याद रहे।

राजेश कुमार शर्मा ने पढ़ा कि …

मेरे आंसू न यूं देखो बड़ी दिलकश कहानी है।
सनम की बेबफाई से मेरी आंखों में पानी है।

डॉ. शुभ्रा माहेश्वरी ने पढ़ा कि …

दर्द के पद्यानुवाद में जिन्दगी गुजार दी सारी।
जिन्दगी के चषक में गमों की सुरा डाल दी सारी।
जख्मों को कुरेदना दुनिया का दस्तूर बन गया।
बस मंजिल की तलाश में जिन्दगी गुजार दी सारी।

अन्त में कार्यक्रम संयोजक हरि प्रताप सिंह राठौड़ ने सभी का आभार व्यक्त किया, इस अवसर पर भवेश प्रताप सिंह, हरि प्रकाश सिंह, अखिलेश्वर प्रताप सिंह, राणा प्रताप सिंह, डॉ. उमा सिंह गौर, डॉ. एसके सिंह, आदेश कुमार सिंह, प्रेमपाल सिंह, राकेश सिंह, ओमकार सिंह, राजेश्वर पाठक, अलंकार सिंह, वीरेन्द्र कुमार, एमएच कादरी, ध्रुवदेव गुप्ता, मो. इब्राहीम, रक्षपाल सिंह, राजपाल सिंह, झब्बू सिंह, वीर प्रताप सिंह, राकेश चन्द्र शुक्ल और धनपाल सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रुप से भूराज सिंह राजलायर व पवन शंखधार ने किया।

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