ई-रिक्शा को लेकर कोई नीति नहीं बनाई, बसों पर शहर में आने की रोक लगाई

ई-रिक्शा को लेकर कोई नीति नहीं बनाई, बसों पर शहर में आने की रोक लगाई

बदायूं में रोडवेज बसों के लिये नई व्यवस्था बनाई गई है। जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव ने रोडवेज के एआरएम एवं अन्य संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ जनपद में यातायात व्यवस्था को दुरूस्त करने, सड़कों पर लगने वाले जाम की समस्या को दूर करने एवं सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम व बसों के आवागमन को बेहतर करने तथा जनमानस की सुविधा के दृष्टिगत शिविर कार्यालय में बैठक कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

बैठक में जिलाधिकारी ने यातायात व्यवस्था में सुधार हेतु निर्देश दिये कि बाहरी क्षेत्र, डिपो की दिल्ली-सहसवान-बदायूं मार्ग की समस्त सेवायें मेडीकल कॉलेज (बिल्सी मोड़) से वापस अपने डिपो, गंतव्य को प्रस्थान करेंगी, कोई भी वाहन बदायूं में अंदर प्रवेश नहीं करेगा, इस मार्ग की बदायूं डिपो की बसें बाईपास से पटेल चौक नवादा मार्ग से बदायूं में प्रवेश करेंगी। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का कोई भी वाहन लालपुल से कचहरी मार्ग पर संचालित नहीं होगा, यह व्यवस्था 1 सितंबर 2024 से प्रतिदिन समय 8 बजे से 21 बजे तक लागू रहेगी।

उन्होंने निर्देशित किया कि बरेली से आगरा, अलीगढ़, मथुरा मार्ग की समस्त सेवायें नवादा-दातागंज चुंगी होते हुये बस स्टेशन पर आयेंगी एवं इसी मार्ग से बाईपास होते हुये अपने गंतव्य को प्रस्थान करेंगी। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज अजय कुमार सिंह ने बताया कि 1 सितंबर से उनके कार्यालय के अधिकारी व कार्मिक की तैनाती भी बेहतर संचालन के दृष्टिगत की जायेगी, इस अवसर पर नगर मजिस्ट्रेट अरूण कुमार, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज अजय कुमार सिंह, एआरटीओ प्रवर्तन सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।

चौंकाने वाली बात यह है कि निजी बसों और डग्गामार वाहनों को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, जबकि रोडवेज बसें बस अड्डे से चलने के बाद कहीं खड़ी नहीं होती है। निजी बसें हर तिराहे-चौराहे पर खड़ी होती हैं, उनका बैठक में कोई उल्लेख नहीं किया गया है, इससे रोडवेज बसों का रेवेन्यु भी प्रभावित हो सकता है।

इस नई व्यवस्था को लेकर कहा जा रहा है कि प्रशासन ने अपना रास्ता साफ किया है, जबकि जाम बसों के कारण नहीं बल्कि, ई-रिक्शा के कारण लगता है, जिसको लेकर कोई नीति नहीं बनाई जा रही है। जानकारों का कहना है कि नई व्यवस्था के लागू होने से हाहाकार मच जायेगा। ई-रिक्शा वालों का तांडव और बढ़ जायेगा। महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों को बेहद परेशानी होगी। अभी जाम शहर के कुछेक स्थानों पर लगता है पर, नई व्यवस्था लागू के होने के बाद ई-रिक्शा से पटेल चौक और मेडिकल कॉलेज तक लगेगा, साथ ही रोडवेज बसों से चलने वाले गरीब तबके को अतिरिक्त रूपये देने होंगे।

जानकारों का कहना है कि शहर में बसों के आने पर प्रतिबंध लगाने की जगह ई-रिक्शा को लेकर नीति बनानी चाहिये। लाबेला चौक से कचहरी आने वाले मार्ग को ई-रिक्शा के लिये वन- वे करना चाहिये। कचहरी से ई-रिक्शा जायें पर लौटने का मार्ग वन विभाग के कार्यालय की ओर से हो, क्योंकि कचहरी तिराहे पर ई-रिक्शा के दाईं ओर मुड़ने के कारण ही जाम लगता है, इसी तरह अन्य रास्तों का चार्ट बनाया जाये।

इसके अलावा पटरी से अस्थाई अतिक्रमण को हटवाया जाये। लालपुल पुलिस चौकी के आस-पास चलने लायक सड़क खाली नहीं है, हाइवे की सफेद पट्टी तक अस्थाई अतिक्रमण होने से ही जाम रहता है, इसी तरह सिविल लाइंस थाने के आस-पास भी जब से पटरी पर अतिक्रमण हुआ है तब से जाम रहने लगा है लेकिन, डाकघर के सामने से अतिक्रमण हटवाने की ओर किसी का ध्यान नहीं है।

दातागंज तिराहे पर भी अतिक्रमणकारियों का कब्जा होने से ही जाम लगा रहता है, इसी तरह अनेजा गेट के आस-पास सड़क पर ही मंडी बन गई है, इस ओर ध्यान देने की जगह प्रशासन ने आम जनता को और अधिक परेशान करने वाली नीति बना दी है। प्रशासनिक आदेश पर सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी सपा के नेता भी मौन दिखाई दे रहे हैं।

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