बदायूं जिले के थाना कादरचौक क्षेत्र में धनूपुरा नाम का एक ऐसा गाँव है, जहाँ कच्ची शराब तोड़ कर बेचने का अवैध धंधा कुटीर उद्योग का रूप ले चुका था। धनूपुरा में कच्ची शराब का अवैध धंधा कई पुश्तों से किया जा रहा था, इस धंधे में वयस्क पुरुष ही नहीं बल्कि, औरतें और बच्चे भी भागीदार होते रहे हैं। हर घर के आंगन में, कमरे में और खेतों में कच्चा माल दबा रहता था। कभी कोई अफसर विशेष ध्यान देता भी था तो, कई थानों का पुलिस बल और कभी-कभी पीएसी ले जाकर हर घर को छान लेता था, तमाम लोगों को जेल भेज देता था पर, जमानत करा कर आदमी और औरतें पुनः धंधा करने लगते थे, क्योंकि उन्हें इस धंधे के अलावा कुछ और आता ही नहीं है।
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सुनील कुमार सक्सेना वर्ष- 2016 में बदायूं के कप्तान थे, वे तेजतर्रार माने जाते हैं, उनके संज्ञान में आया तो, उनके निर्देश पर 16 सितंबर 2016 को एएसपी अनिल कुमार यादव की देख-रेख में टीम तैयार की गई थी, जिसने सीओ उझानी अजय कुमार शर्मा के नेतृत्व में गाँव में छापा मारा गया था। पुलिस, पीएसी और आबकारी विभाग की टीम पहुंचने से पहले गाँव के अधिकाँश लोग फरार हो चुके थे, अधिकांश घरों में सिर्फ महिलायें ही थीं, उस दिन पुलिस ने जमकर तांडव किया था और खोज-खोज कर कच्चा माल खत्म कर दिया था पर, कोई अंतर नहीं पड़ा। ग्रामीण पुनः वही धंधा करने लगे।
इस गाँव के लोगों की सोच परिवेश के चलते वंशानुगत ऐसी बनती रही है, जो कच्ची शराब का धंधा करने को प्रेरित करती रही है। कच्ची शराब के अवैध धंधे में पूरे गाँव के संलिप्त होने के कारण आस-पास के गाँव में कोई मजदूरी तक नहीं देता, शादियाँ भी जैसे-तैसे होती हैं। सरकारें बदलती रहीं, अफसर बदलते रहे पर, इस गाँव की तस्वीर और लोगों की तकदीर नहीं बदली। शराब के विरुद्ध अभियान चलते हैं तो, थाना पुलिस ने दो-चार ग्रामीणों को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया, इससे ग्रामीणों की दृष्टि में पुलिस और समूचे सिस्टम की छवि भी खराब होती रही है। मुकदमा दर्ज होने के बाद तमाम लोग अन्य अपराध भी करने लगे, यहाँ के ग्रामीणों की हालत की कल्पना इससे की जा सकती है कि उन्हें आज तक यह भी नहीं पता कि वे किस श्रेणी अर्थात, किस जाति वर्ग में आते हैं। बावरिया जाति किस श्रेणी में है, इसका लेखा-जोखा नहीं है, जिससे किसी के पास जाति प्रमाण पत्र तक नहीं है, इस ओर आज तक किसी ने ध्यान तक नहीं दिया।
उझानी क्षेत्र में हाल ही में अनिरुद्ध सिंह सीओ के रूप में आये हैं, उन्हें इस गाँव की कहानी पता चली तो, उन्होंने शक्ति से काम लेने की जगह ग्रामीणों के मन और हृदय पर चोट करने की ठान ली। 16 सितंबर को ही उन्होंने गाँव में जाकर ग्रामीणों को जमा किया और उन्हें अपमान का जीवन छोड़ने को प्रेरित किया। ग्रामीणों से बात की तो, उन्हें पता चला कि कच्ची शराब का धंधा करना उनकी मजबूरी भी रही है। आपराधिक वारदातों को अंजाम देते समय तमाम लोग युवास्था में ही चल बसे, ऐसे लोगों की विधवाओं को पेंशन तक नहीं मिलती, क्योंकि उनके पास कागजात तक नहीं हैं, ऐसे में उन महिलाओं की भी मजबूरी हो जाती है, जिससे वे कच्ची शराब का धंधा करने लगती हैं।
इस गाँव के लोग इतने पिछड़े हैं कि आपराधिक वारदात की सफलता के लिए कुलदेवी से आशीर्वाद लेकर जाते रहे हैं और सफल होने पर मनौती पूरी करते रहे हैं, यहाँ तमाम अधबने मंदिर हैं, जो एक वारदात के बाद बनवा दिए गये थे लेकिन, अगली बार असफल हो गये, इस सब को अनिरुद्ध सिंह ने समझा और फिर ग्रामीणों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने अपने वरिष्ठ अफसरों से वार्ता कर ग्रामीणों की मदद करने का आग्रह किया तो, ग्रामीण भी अपमान का जीवन त्यागने को तैयार हो गये। जिस कुलदेवी से अपराध करने की शक्ति और बुद्धि मांगते थे, उसी कुलदेवी की कसम खाकर अपराध छोड़ने का वचन दे दिया।
सीओ अनिरुद्ध सिंह की पहल पर 17 सितंबर को जिलाधिकारी कुमार प्रशांत व मुख्य विकास अधिकारी निशा अनंत के दिशा-निर्देशन में ग्राम धनुपुरा में जन जागरूकता हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया, इस कार्यशाला में विकास विभाग के अधिकारियों के साथ कृषि विभाग, समाज कल्याण विभाग, पशुपालन विभाग, पंचायत विभाग, राजस्व विभाग एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। क्षेत्र में लगभग 150 वर्ष पूर्व राजस्थान से आकर लोग बसे थे, जो सामाजिक कु-रीतियों में लिप्त होते चले गये। कु-रीतियों से दूर रहने का आह्वान करते हुए विभिन्न विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने विभाग के संबंध में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से ग्राम वासियों को अवगत कराया। उपस्थित ग्राम वासियों ने आश्वासन दिया कि वह इन कु-रीतियों से मुक्त होना चाहते हैं और सभी ने सहमति से कुलदेवी की शपथ भी ली, शासकीय योजनाओं से जुड़ कर मुख्यधारा से जोड़ने का आश्वासन दिया।
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