सवाल: तबलीगी जमात वाले कोतवाल हरेन्द्र सिंह के रिश्तेदार हैं क्या?

सवाल: तबलीगी जमात वाले कोतवाल हरेन्द्र सिंह के रिश्तेदार हैं क्या?

बदायूं जिले के सहसवान कोतवाली में तैनात इंस्पेक्टर हरेन्द्र सिंह तबलीगी जमात वालों के रिश्तेदार हैं क्या? यह सवाल इसलिए उठा कि कोतवाल हरेन्द्र सिंह मस्जिद से निकाले गये लोगों को तबलीगी जमात का मानने को तैयार नहीं हैं, जबकि मस्जिद से निकाले गये लोग स्वयं कह रहे हैं कि वे तबलीगी जमात से हैं। कोतवाल हरेन्द्र सिंह वरिष्ठ अफसरों को लगातार झूठी रिपोर्ट भेज रहे हैं। भयानक कोरोना माहमारी को लेकर भी गंभीर न रहने वाले कोतवाल हरेन्द्र सिंह के विरुद्ध त्वरित कड़ी कार्रवाई होना चाहिए, साथ ही मीडिया सर्विलांस टीम के प्रभारी राजेश शर्मा अफवाह फैलाने वालों की निगरानी और कार्रवाई करने की जगह मीडिया कर्मियों पर निजी रंजिश के चलते शिकंजा कसने का प्रयास कर रहे हैं।

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उल्लेखनीय है कि सूत्रों के हवाले से 1 अप्रैल को गौतम संदेश ने खुलासा किया था कि तबलीगी जमात में शामिल होकर सहसवान के लोग भी लौटे हैं, इसके बाद पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया था। सहसवान में एसडीएम लाल बहादुर, सीओ रामकरन के साथ कोतवाल हरेन्द्र सिंह ने छापा मारा था, वडाला (महाराष्ट्र), बुलंदशहर जिले के और आंध्र प्रदेश के लोग निकले थे।

खबर पर कोतवाल हरेन्द्र सिंह की लापरवाही को लेकर एसएसपी द्वारा जवाब माँगा गया तो, हरेन्द्र सिंह ने एसएसपी को भेजी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि सहसवान में तबलीगी जमात में शामिल होने वाला कोई नहीं है। रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया है कि मस्जिद से तमाम लोग हिरासत में लिए गये थे। रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया कि मस्जिद से हिरासत में लिए गये लोग क्वारंटाइन हैं। संभव है कि कोतवाल हरेन्द्र सिंह की रिपोर्ट के आधार पर शासन को भी यही बताया गया हो कि बदायूं जिले में तबलीगी जमात से संबंधित लोग नहीं हैं।

कोतवाल हरेन्द्र सिंह के द्वारा एसएसपी को भेजी गई झूठी रिपोर्ट के बारे में गौतम संदेश को जानकारी हुई तो, गौतम संदेश ने नगर पालिका परिषद के भवन में आंध्र प्रदेश के क्वारंटाइन तबलीगी जमात के लोगों से बात की, उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि वे जमात में शामिल होकर लौटे हैं, इनके साथ पांच महिलायें भी हैं, इसके अलावा मस्जिद से बुलंदशहर के सलमान, सिकंदर, इस्लाम, वकील अहमद, रिहान, वाहिद ताहिर, कामिल, अजरुद्दीन, अजहर, हबीब इमरान, जुनैद, स्लामुर्दान व नोयडा के अकबर भी मिले थे। वडाला (महाराष्ट्र) के सद्दाम हुसैन, मोहम्मद अली जान, अब्दुल फैज, मोहम्मद गुफरान, उल्लन अंसारी और सरफराज खान भी मस्जिद में मिले थे, इन्हें आज जिला अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है, यहाँ से इनका सेंपल लेकर जांच को भेजा जायेगा।

सवाल यह है कि तबलीगी जमात वाले स्वयं कह रहे हैं, फिर कोतवाल हरेन्द्र सिंह क्यों छुपा रहे हैं? तबलीगी जमात वालों को छुपाने से कोतवाल हरेन्द्र सिंह के क्या हित सिद्ध हो रहे हैं? तबलीगी जमात को लेकर भारत का गृह मंत्रालय और प्रदेश सरकार पल-पल की जानकारी जुटा रहे हैं, ऐसे में बदायूं जिले में मिले तबलीगी जमात के लोगों के बारे में शासन को क्यों नहीं बताया जा रहा है?

कोतवाल हरेन्द्र सिंह के क्या हित हैं, उन पर तबलीगी जमात वालों को छुपाने का क्या दबाव है?, इस बारे में तो अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन, यह स्पष्ट है कि भयानक कोरोना माहमारी को लेकर वे बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। अब जब सब कुछ सामने है तो, उम्मीद की जा सकती है कि उनके विरुद्ध त्वरित कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

उधर कोरोना माहमारी को लेकर आम जनता के बीच अफवाह न फैले, इसको लेकर मीडिया सर्विलांस टीम गठित की गई है। अफवाहों का खुलासा गौतम संदेश लगातार कर रहा है लेकिन, टीम न सही से निगरानी कर पा रही है और न ही अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करा पा रही है लेकिन, टीम के प्रभारी राजेश शर्मा अवसर का लाभ लेने का पूरा प्रयास करते नजर आ रहे हैं, वे निजी रंजिश के चलते मीडिया कर्मियों पर ही शिकंजा कसने का प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कि दायित्व का दुरूपयोग कर रहे राजेश शर्मा के विरुद्ध भी जिलाधिकारी कुमार प्रशांत कार्रवाई करेंगे।

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