प्रसिद्ध कवि नरेंद्र गरल की एक प्रसिद्द गजल है, जिसे सुनो तो, सुनते ही रहने का मन करता है। गजल का एक-एक शब्द अंदर तक तरल पदार्थ की तरह घुलता सा महसूस होता है। बड़ी बात इतनी सहजता से कही गई है कि सबके मन को छूते हुए दिल में उतर जाती है।
गरल जी जितने बड़े रचनाकार हैं, उतना ही बेहतरीन उनका कंठ है। गरल जी गजल स्वयं सुनायें तो, इससे बड़ी बात कोई और हो नहीं सकती। गजल पढ़ने पर उतना आनंद आ ही नहीं सकता था, सो गौतम संदेश के पाठकों का यह सौभाग्य ही कहा जायेगा कि उनकी रिकॉर्ड की हुई एक और गजल आप सुन पा रहे हैं।
तेरे मधुवन में सुभाषित हो गई है जिंदगी, प्रेम के कण से प्रकाशित हो गई है जिंदगी।
तुम कहीं हो, मैं कहीं हूँ, तन कहीं है, मन कहीं, कितने टुकड़ों में विभाजित हो गई है जिंदगी।
तेरे मधुवन में सुभाषित … पूरी गजल वीडियो में सुनी जा सकती है। एक बार गजल सुनी तो, कई बार सुनने से स्वयं को रोक नहीं पायेंगे। हमारा प्रयास रहेगा कि गरल जी की ऐसी ही अद्भुत रचनायें आपके सामने और ला सकें।
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