बदायूं जिले के कस्बा बिल्सी में हाल ही में शुरू हुए बाबा मिशन हॉस्पिटल में अनुभवी महिला डॉक्टर ने अविकसित शिशु के बावजूद प्राकृतिक प्रसव कराने में सफलता प्राप्त कर ली, जिससे जच्चा सकुशल है। जच्चा के स्वस्थ होने से परिजन भी बेहद खुश हैं, वहीं अद्भुत सफलता पर अस्पताल का स्टाफ और मैनेजमेंट गदगद नजर आ रहा है।
गर्भ के दिनों में गर्भवती महिला का ऑपरेशन करने का ट्रेंड बन गया है। ऑपरेशन की आड़ में डरा कर डॉक्टर परिवार से मोटी रकम वसूलते हैं। बाबा मिशन हॉस्पिटल की डॉ. नयना पाठक ने ऐसा नहीं किया, उन्होंने विपरीत हालातों में भी प्राकृतिक प्रसव को वरीयता दी। डॉ. नयना पाठक ने बताया कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि शिशु विलक्षण रोग अभि-मस्तिष्कता (एनेंसेफ्ली) से ग्रसित है। अभि-मस्तिष्कता एक प्रकार की चिकित्सा स्थिति है, जो खोपड़ी के मस्तिष्क और हड्डियों को सामान्य रूप से विकसित होने से रोकती है। एनेंसेफ्ली का मामला विशेष रूप से गंभीर है, क्योंकि इसमें मस्तिष्क पूरी तरह से गठित नहीं होता है, इसलिए इस विकार के साथ बच्चे लंबे समय तक नहीं रहते हैं। यह तंत्रिका तंत्र के विकास का एक विकार है, जो गर्भ के विकास में गंभीर परिवर्तन का कारण बनता है। डॉ. नयना पाठक ने बताया कि भारत में इस प्रकार के रोग का प्रतिशत 1000 में से 3 का है।
इस प्रकार के प्रसव में डॉक्टर ऑपरेशन को प्राथमिकता देते हैं, जबकि बाबा मिशन हॉस्पिटल की डॉ. सुनयना पाठक ने अपने अथक परिक्षण में इसे मात्र 38 घंटों में सामान्य प्रसव में कर दिखाया। बाबा मिशन हॉस्पिटल जटिल से जटिल प्रकरणों में सामान्य प्रसव को ही प्राथमिकता देता है। डॉ. सुनयना पाठक की पाठक की सफलता पर सहयोगी स्टाफ और मैनेजमेंट खुश नजर आ रहे हैं।
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