बदायूं जिले के कस्बा अलापुर में सरकारी राशन की कालाबाजारी का बड़ा भंडाफोड़ कर दिया गया है। राशन माफिया समाजवादी पार्टी का जिला सचिव फहीम उद्दीन ही निकला, जिसे गुरुवार को न्यायालय में पेश किया गया, जहाँ से उसे जेल भेज दिया गया। समाजवादी पार्टी के बड़े पदाधिकारियों पर लगातार शिंकजा कसा जा रहा है लेकिन, शीर्ष नेतृत्व बयान तक नहीं दे रहा है। सवाल उठता है कि पदाधिकारी गलत हैं तो, उन्हें पार्टी से निकाला क्यों नहीं जा रहा है और अगर, सही हैं तो, पार्टी उनके पक्ष में आवाज क्यों नहीं उठा रही है?
पढ़ें: ब्लैक होने जा रहा चावल से भरा ट्रक जब्त, पुलिस ने हिरासत में लिया सपा का जिला सचिव
उल्लेखनीय है कि कस्बा अलापुर में सरकारी राशन की पांच दुकानें हैं। एक दुकान सपा के जिला सचिव फहीम उद्दीन के भाई रागिब के नाम पर है। रागिब दिल्ली में रहता है लेकिन, उसकी दुकान को फहीम उद्दीन ही संभालता है। बुधवार को चावल के कट्टे ट्रक में भरे जा रहे थे तभी किसी ने एसडीएम को सूचना दे दी, उनके निर्देश पर अलापुर के थाना प्रभारी ने छापा मारा। पुलिस ने चावल के कट्टों से भरा ट्रक कब्जे में ले लिया। मौके पर मौजूद फहीम उद्दीन को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जिसके बाद डीएसओ रामेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा स्टॉक की जाँच की गई। जांच के बाद पता चला कि 38 कट्टे 50 किग्रा के हैं और 449 कट्टे 60 किग्रा के हैं। कुछेक कट्टों पर खाद्य एवं रसद विभाग भी लिखा है, जिन्हें कालाबाजारी के लिए भेजा जाना था।
दातागंज के पूर्ति निरीक्षक की तहरीर पर आवश्यक वस्तु अधिनियम- 1955 की धारा- 3 और धारा- 7 एवं आईपीसी- 1960 की धारा- 420 के अंतर्गत फहीम उद्दीन व कोटेदार रूमा के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, साथ ही पुलिस ने फहीम उद्दीन को न्यायालय में पेश किया, जहाँ से उसे जेल भेज दिया गया। प्रकरण जिले भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
उक्त कार्रवाई को लेकर यह भी चर्चा है कि जिला सचिव फहीम उद्दीन के अलावा पिछले दिनों स्वाले चौधरी के अस्पताल पर कार्रवाई की गई, इससे पहले बिजली चोरी में तनवीर खान पर कार्रवाई की गई, इसी तरह सलीम अहमद पर एक जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा तो, पुलिस-प्रशासन ने जमीन कब्जा मुक्त कराई। महासचिव यासीन गद्दी के बारे में मीडिया में नकारात्मक खबरें आईं पर, शीर्ष नेतृत्व द्वारा कोई आवाज नहीं उठाई गई। सवाल यह उठ रहा है कि शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि उक्त नेता गलत हैं तो, उन्हें पार्टी से क्यों नहीं निकाला गया और अगर, नेता सही हैं तो, पार्टी की ओर से उनके पक्ष में बयान क्यों नहीं आया?
समाजवादी पार्टी जिन मुस्लिम नेताओं को अहम मानती है, उन्हें पदाधिकारी बनाया गया है, इन्हीं चेहरों को बैनर-पोस्टर पर लगा कर आम मुस्लिम से वोट माँगा जायेगा लेकिन, इन पर हुई कार्रवाई पर मौन स्वीकृति देकर पार्टी ने यह सिद्ध कर दिया कि उक्त लोग गलत हैं, ऐसे में आम मुस्लिम इन्हें नेता क्यों मानेगा और इनसे प्रभावित होकर वोट क्यों देगा?
(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)