बदायूं जिले के बिल्सी तहसील क्षेत्र में घूमने वाले बाइक सवार ठग पत्रकारों के गिरोह का सरगना पैदाइशी हरामी बताया जाता है। सरगना के माँ-बाप रोटी के एक-एक टुकड़े की भीख मांगते हुए कुत्ते की तरह घिसटते हुए सड़क पर ही मर गये थे लेकिन, उनकी मौत के बाद सरगना मुक्त हो गया और फिर बदायूं में आकर एक धर्मशाला में औरों के टुकड़ों पर पलते हुए जिंदगी गुजारता रहा, गरीब तबके के लोगों को ठगता रहा, जिसके दुष्परिणाम स्वरूप जीवित रहते सरगना नर्क भोग रहा है।
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सरगना के एक-एक कुकर्म की सजा परिवार भी भुगतता रहा। कहते हैं कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा बनेगा मन, सो गरीबों की मेहनत की कमाई ठगने से सरगना सूअर से भी बदतर अवस्था में पहुंच गया, इसे अच्छे-बुरे का ज्ञान ही नहीं रहा, हर तरह से लोगों को ठगता रहा, जिसकी सजा पागल बेटे के रूप में मिली। बड़ा बेटा पागल हो गया लेकिन, सरगना ने ईश्वर के इस संकेत को भी नहीं समझा और पत्नी को पड़ोस में दूध देने वाले दुधिया के पीछे लगा दिया।
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सरगना की पत्नी ने दुधिया को बहला-फुसला कर पागल बेटे का विवाह कर लिया, इसकी सजा और कुकर्मी पति का साथ देने का पाप पत्नी को भी मिला, वह खून न बनने की गंभीर बिमारी से ग्रस्त हो गई लेकिन, बाजीगर की तरह सरगना ने बीमार पत्नी को भी रुपया कमाने का जरिया बना लिया।
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विकास भवन के कर्मचारियों, नेताओं और साथी पत्रकारों के सामने रो-रोकर बीमारी और रोजी-रोटी के लिए भीख मांगता रहा, इसके नाटक को लोग सही समझते रहे और न सिर्फ रूपये से बल्कि, जिला अस्पताल में दबाव बना कर इसकी पत्नी को फ्री में ब्लड भी दिला कर मदद करते रहे लेकिन, सरगना भीख के रुपयों पर भी ऐश करता रहा, जिससे पत्नी मर ही नर्क से स्वतंत्र हुई।
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विकास भवन के एक कर्मचारी ने बताया कि सरगना ने पत्नी के नाम पर सरकार को भी ठगने का प्रयास किया था, इसने सरकार से अनुदान लेने का प्रयास किया था लेकिन, इसकी शातिर हरकतों को सभी समझ गये थे, इसलिए सीडीओ ने सरगना के प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया, यह सीडीओ से स्वयं मिलने गया तो, उन्होंने इसे अपमानित कर भगा दिया था, जिसके बाद सरगना एक विधायक के पास जाकर रोया था लेकिन, विधायक भी सरकारी धन नहीं दिला पाये, इसके बाद से सरगना सूअर से बदतर हरकतें करने लगा, जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि आज सरगना सड़क छाप कुत्ता बन कर रह गया है, जो सिर्फ राह चलते लोगों पर भौंक सकता है, पास जाकर काटने का प्रयास करेगा तो, मार दिया जायेगा अथवा, किसी के द्वारा आधे-अधूरे बचे इसके दांत भी उखाड़ दिये जायेंगे।
जिनके खुद के बही खाते बिगड़े हैं, वे औरों का हिसाब लिए फिरते हैं
पिछले दिनों इसके पूर्व ब्यूरो चीफ ने बताया था कि पत्नी की बीमारी के नाम पर रूपये और छुट्टी लेकर एक पीड़ित विधवा महिला के साथ अय्याशी करते हुए पकड़ा था, जिसके बाद उन्होंने इसे ऑफिस से भगा दिया था पर, बहुत रोने-विलखने के कारण एक सप्ताह बाद माफ कर दिया था।
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अंत में सरगना बड़े हाथ मारने की रणनीति बनाने लगा। एक प्लॉट कब्जाने का प्रयास करने लगा तो, संस्थान ने आउट कर दिया। चूंकि सरगना का उद्देश्य पत्रकारिता नहीं बल्कि, अवैध वसूली करना था, सो लखनऊ के एक चर्चित दलाल की चमचागीरी कर के एक टीवी चैनल की आईडी ले आया। जहाँ-जहाँ से अखबार की आड़ में महीनादारी ले रहा था, वहां से बंद हो गई तो, ग्रामीण क्षेत्र में छापामारी करने लगा, जिसकी खबर चैनल प्रबंधन को लग गई तो, चैनल ने भी आउट कर दिया और मुकदमा दर्ज कराने की चेतावनी पर आईडी वापस मंगवा ली, वरना आईडी दिखा कर ही लोगों को मूर्ख बनाता रहता।
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चैनल से आउट होने की भनक लगते ही सरगना ने लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना देख रहे एक स्वजातीय नेता को यह कह ठग लिया कि चुनाव में मदद करेगा, साथ ही क्षेत्र के कुछ बेरोजगार व पत्रकार बनने को उत्सुक युवाओं को भी ठग लिया और फिर एक घटिया सा पोर्टल बना कर क्षेत्र के लोगों को ठगने का प्रयास करने लगा। जुआरियों और सटोरियों को संरक्षण देने लगा, जिसका खुलासा गौतम संदेश ने कर दिया तो, सरगना और इसका पूरा गिरोह मानसिक संतुलन खो बैठा।
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सरगना और इसके गिरोह पर अब अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है, जिससे पागलों सी हरकतें कर रहा है। नई-नई कहानियाँ गढ़ रहा है, लोगों को ग्लानि का अहसास न हो, इसलिए वाट्सएप पर लोगों को मैसेज कर रहा है पर, इसके कुकर्मों को जानने के बाद लोग अब इससे घृणा करने लगे हैं, इसको लेकर सरगना बेहद व्यथित बताया जा रहा है। बताते हैं कि कमरे के अंदर पड़ा हर समय रोता रहता है लेकिन, यह तो शुरुआत है, अभी तो कीड़े भी पड़ेंगे, क्योंकि माँ-बाप के साथ किये गये अन्याय की सजा मिलना बाकी है, पागल बेटे की बहू को छीनने की सजा बाकी है, पत्नी के नाम पर अय्याशी करने की सजा मिलना बाकी है, यह तो सिर्फ शुरुआत है अभी।
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