बदायूं जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार त्रिपाठी सामूहिक यौन उत्पीड़न की शिकार पीड़िता के आत्म हत्या के प्रकरण में अब तक हुई लापरवाही और मनमानी को स्वीकार करते नजर आ रहे हैं। पीड़िता अशोक कुमार त्रिपाठी से स्वयं मिली थी लेकिन, उसकी पीड़ा पर उनका दिल नहीं पसीजा, वे अब अपनी लापरवाही और अमानवीयता छुपाने को कोतवाल को निशाना बना रहे हैं। दातागंज के कोतवाल अमृत लाल को लाइन हाजिर करते हुए निलंबित कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि दातागंज कोतवाली क्षेत्र के एक गाँव में रविवार दोपहर यौन उत्पीड़न की शिकार एक विवाहिता ने आत्म हत्या कर ली थी। मृतका ने सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें लिखा है कि वह बयान दे-देकर परेशान हो चुकी है, इसलिए आत्म हत्या कर रही है। मृतका एसएसपी से मिल चुकी थी एवं कार्रवाई न होने पर बरेली स्थित अपर पुलिस महानिदेशक से भी जाकर मिली थी, उन्होंने मुकदमा दर्ज करने का आदेश भी दिया था पर, 12 जून से अब तक पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया।
पढ़ें: जंगलराज: रेप पीड़िता ने की आत्म हत्या, एसएसपी ले रहे विवाह का आनंद
रविवार की दोपहर में पीड़िता ने आत्म हत्या कर ली तो, सर्व प्रथम आनन-फानन में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। सूत्रों का कहना है कि जीडी कई घंटे पीछे चल रही थी, जिससे पुलिस ने आत्म हत्या से पहले मुकदमा दर्ज दर्शाया है। सवाल यह है कि मुकदमा दर्ज हो गया था तो, पीड़िता ने आत्म हत्या क्यों की?
सूत्रों का कहना है कि एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी ने कागजी तौर पर स्वयं को मजबूत दर्शाने के लिए आनन-फानन में मुकदमा दर्ज करा दिया, जबकि पीड़िता ने सुसाइड नोट में स्पष्ट लिखा है कि वह बयान दे-देकर परेशान हो गई है। स्पष्ट है कि मुकदमा उसके मरने से पहले दर्ज हुआ होता तो, वह निश्चित ही आत्म हत्या नहीं करती। वह पूरी तरह अकेली पड़ गई, पुलिस सुन नहीं रही थी और पति त्याग चुका था, इसीलिए उसने आत्म हत्या की।
एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी ने आनन-फानन में मुकदमा दर्ज कराया, जीडी पीछे चल रही थी, सो आत्म हत्या करने से पहले दर्शा दिया और सोमवार को दातागंज के कोतवाल अमृत लाल को लाइन हाजिर कर निलंबित भी कर दिया, जबकि पूरे प्रकरण में अमृत लाल की गंभीर गलती नहीं है।
प्रकरण में सीधी गलती एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी की ही है, क्योंकि जब उनसे पीड़िता मिली तो, उसका तत्काल मुकदमा दर्ज नहीं कराया। महिला कहीं भी मुकदमा दर्ज करा सकती है लेकिन, लापरवाही सामने आने पर कहीं का भी थाना प्रभारी दोषी नहीं माना जा सकता। अपराध की शुरुआत सिविल लाइंस थाना क्षेत्र से हुई थी, इसलिए मुकदमा सिविल लाइंस थाने में ही दर्ज होना चाहिए था लेकिन, एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी की मंशा शुरू से ही मुकदमा दर्ज कराने की नहीं थी, इसीलिए उन्होंने प्रार्थना पत्र दातागंज कोतवाली भेज दिया। कोतवाल अमृत लाल जानते थे कि टालने के लिए ही साहब ने भेजा है, सो वे टालते रहे पर, एसएसपी स्वयं की लापरवाही से अफसरों और सरकार का ध्यान हटाने के लिए दातागंज के कोतवाल की बलि ले चुके हैं।
दातागंज के कोतवाल अमृत लाल को लाइन हाजिर कर निलंबित कर दिया गया है, उनकी जगह चुनाव सैल से गोविंद सिंह को तैनात किया गया है। प्रथम दृष्टया अमृत लाल दोषी नहीं हैं। हालाँकि सुसाइड नोट में मृतका ने अमृत लाल को ही दोषी बताया है, वह इसलिए कि एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी प्रकरण को टालने की दृष्टि से प्रार्थना पत्र दातागंज कोतवाली भेज रहे थे। पहले ही दिन एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया होता तो, मृतका आत्मघाती कदम नहीं उठाती।
(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)