दलित किशोरी का यौन उत्पीड़न करने के प्रकरण में आजीवन कारावास व अर्थ दंड

दलित किशोरी का यौन उत्पीड़न करने के प्रकरण में आजीवन कारावास व अर्थ दंड

बदायूं में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) ने यौन उत्पीड़न के प्रकरण में आजीवन कारावास और बीस हजार रूपये के अर्थ दंड की सजा सुनाई है। अर्थ दंड में से पन्द्रह हजार रूपये पीड़िता को दिए जाने का आदेश विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित किया गया है।

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प्रकरण वर्ष- 2016 का है। थाना बिनावर में अनुसूचित वर्ग के एक युवक ने यह आरोप लगाते हुए धारा- 376 आईपीसी, धारा- 3(2)5 अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनयम- 1989 के अंतर्गत मुकदमा अपराध संख्या- 553/2016 दर्ज कराया था कि उसकी पन्द्रह वर्षीय बेटी 12 दिसंबर 2016 को लगभग आठ बजे शौच को गई थी तभी, गाँव नाई निवासी प्रेम कुमार नाम के युवक ने उसे दबोच लिया और उसका यौन उत्पीड़न किया, वह परिजनों के साथ लड़की को खोजने गया तो, प्रेम कुमार लड़की को मुक्त कर जंगल की ओर भाग गया।

उक्त प्रकरण में विवेचक ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया एवं साक्ष्य जुटा कर न्यायालय में आरोप पत्र दायर कर दिया, जिस पर सुनवाई और बहस हुई, दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद बुधवार को आदेश सुनाया गया। विशेष न्यायाधीश मचला अग्रवाल ने यौन उत्पीड़न के अंतर्गत दस वर्ष के कारावास व दस हजार रूपये के अर्थ दंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड जमा न करने पर तीन माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई है। एससी एक्ट के अंतर्गत आजीवन कारावास व बीस हजार रूपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है, जुर्माने में से पन्द्रह हजार रूपये पीड़िता को क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाने का आदेश पारित किया गया है।

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