बदायूं में स्थित विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) की तेजतर्रार न्यायाधीश मचला अग्रवाल ने यौन उत्पीड़न के प्रकरण में साक्ष्य के आधार पर आरोपियों को दोषी मानते हुए 20-20 वर्ष की सजा सुनाई है। दोषियों पर 22-22 हजार रूपये का अर्थ दंड भी लगाया गया है, जिसकी आधी रकम पीड़िता को दी जायेगी।
वारदात का मुकदमा पीड़िता के पिता द्वारा थाना उघैती में फरवरी 2014 में दर्ज कराया गया था। आरोप था कि 14 वर्षीय पुत्री शाम 4 बजे के करीब शौच के लिए खेत में गई थी तभी, रास्ते में अंशुल पुत्र हरी सिंह व भूरे पुत्र राजपाल ने उसे दबोच लिया, दोनों ने बारी-बारी से किशोरी का यौन उत्पीड़न किया। साक्ष्य जुटा कर विवेचना के बाद पुलिस ने न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था, जिस पर विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) में सुनवाई शुरू हुई।
वादी और प्रतिवादी के अधिवक्ताओं के तर्कों और बहस के बाद साक्ष्य के आधार पर तेजतर्रार न्यायाधीश मचला अग्रवाल ने आरोपियों को दोषी पाया। तेजतर्रार न्यायाधीश मचला अग्रवाल ने अंशुल और भूरे को 20-20 की सजा सुनाई है, साथ ही दोनों पर 22-22 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की आधी रकम क्षतिपूर्ति के रूप में पीड़िता को दी जायेगी।
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