बदायूं में नव वर्ष के उपलक्ष्य में साहित्यिक संस्था शब्दिता के तत्वाधान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में कवियों ने अपनी भावात्मक अभिव्यक्ति की शॉल पहना सर्दीली शाम में गर्माहट पैदा कर दी। एक बार कविता पाठ शुरू हुआ तो, सुगंधित समीर की तरह-तरह मंद-मंद देर शाम तक बहता ही रहा।
सरस्वती वंदना से गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। शाब्दिता की वरिष्ठ सदस्य रमा भट्टाचार्य ने एक हास्य रचना प्रस्तुत कर सबको हँसने पर मजबूर कर दिया, वहीं डॉ. कमला माहेश्वरी ने शब्दों को दर्शाया। डॉ. प्रतिभा मिश्रा ने “क्या कहूँ, कैसे कहूँ, अब कुछ कहा जाता नहीं” पढ़ कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया।
मधु राकेश ने कविता पाठ करते हुए कहा कि “न इससे काम चलेगा, न उससे काम चलेगा, चलेगा तो, बस अपने आप से काम चलेगा” वहीं उषा किरण रस्तोगी ने अपनी कविता के माध्यम से नव वर्ष का स्वागत किया कि “नववर्ष के स्वागत में हैं आये हम सभी, आओ मनाएं साल नया मिल के हम सभी”।
मधु शर्मा ने सोनरूपा को समर्पित एक कविता पढ़ते हुए कहा कि “दिलों में बस जाऊँ मैं ऐसी शख्सियत हूँ, सभी को प्रेरणा दूँ, ऐसी मूरत हूँ।” अंजलि शर्मा ने अपने नारी जीवन की विवशता को कविता में पिरोते हुए कहा कि “जीवन जीना बहुत सहज है, सुनना अच्छा लगता है पर, एक डग को भरने में सौ बार तो मरना पड़ता है। गायत्री प्रियदर्शनी ने वर्तमान समय की विद्रूपताओं को अपनी कविता का विषय बनाते हुए कहा कि “घुल रहा है फिजा में कसैला धुँआं, घुट रही हैं हवाओं में साँसे यहाँ”।
अभिषेक अनंत ने गीत पढ़ते हुए कहा कि “प्रेम का आकाश विस्तृत, कामना के पँख लेकर, पार जाना चाहता हूँ, जानता हूँ है मिलन, देता विरह का ताप लेकिन, प्यार पाना चाहता हूँ। गजलकार कुमार आशीष ने कहा कि “जिन्दगी कुछ यूं धँसी है उलझनों के बीच में, नींद ज्यों आधी अधूरी करवटों के बीच में।
अंत में गोष्ठी का संचालन एवं संयोजन कर रहीं सोनरूपा ने अपनी गजल का पाठ करते हुए कहा कि “प्यार वफा से अपने पन से रिश्तेदारी खत्म न हो, औरों के सुख-दुख में अपनी साझेदारी खत्म न हो, माना कुदरत की हर शय का जिम्मा है उस पर लेकिन, अपने-अपने हिस्से की भी जिम्मेदारी खत्म न हो”।
गोष्ठी में कुसुम रस्तोगी, मंजुल शंखधार एवं सुषमा भट्टाचार्य की भी सक्रिय उपस्थिति रही। अंत में सोनरूपा विशाल ने सभी को आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि ऐसी बैठकी बहुत सृजनात्मक, सकारात्मक, प्रेरणात्मक होती हैं, जो होते रहना चाहिए। कुछ सदस्यों ने अपनी रुचि के अनुसार कुछ कविता, कहानी, उपन्यास संग्रह चुनीं, जिन पर अगली गोष्ठी में चर्चा की जाएगी। कुमार आशीष एवं अभिषेक अनन्त को संस्था द्वारा सम्मानित किया गया।
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