बदायूं के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार की कार्यप्रणाली प्रदेश भर में उदाहरण बन गई है। सराहना करते हुए पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने लखनऊ में आयोजित किये गये पुलिस वीक में एसएसपी अशोक कुमार को सम्मानित किया।
उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने पदभार संभालते ही महसूस कर लिया कि जनपद में अधिकतर अभियोग पेशबंदी के तहत लिखाये जाते है। अभियोगों में गलत नामजद होने पर कई बार व्यक्तियों में बदले की भावना जागृत हो जाती थी और हत्या तक वारदातें घटित हो जाती थीं। अभियोगों में गलत रूप से नामजद बेगुनाह व्यक्तियों को विवेचना के परिणाम की जानकारी ना हो पाने के कारण विभिन्न स्तरों पर उनका आर्थिक तथा मानसिक शोषण हो रहा था। एसएसपी द्वारा अभियोगों में झूठे फंसाये गये व्यक्तियों को न्याय दिलाने व मुकदमों में कमी लाने हेतु एक विस्तृत कार्ययोजना बनायी गयी तथा अपर पुलिस अधीक्षक (नगर एवं ग्रामीण) तथा समस्त क्षेत्राधिकारी व थाना प्रभारियों को स्पष्ट आदेश दिये गये कि किसी भी झूठे अभियोग में किसी भी निर्दोष को जेल न भेजा जाये बल्कि, जो व्यक्ति झूठा अभियोग पंजीकृत कराये, उसके विरूद्ध कार्यवाही की जानी चाहिये।
एसएसपी के आदेश के परिपेक्ष्य में जनपद के सभी थानों पर व्यापक रूप से अभियान चलाया गया, जिसके परिणाम स्वरूप जनपद में माह अप्रैल, 2018 से दिसम्बर 2018 तक 1425 व्यक्तियों की नामजदगी झूठी पायी गयी,सभी को जेल जाने से बचाया गया। अभियोगों में नामजदगी झूठी पायी जाने पर अभियोगों से निकाले गये नामों को संबंधित थानों व पुलिस कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया गया, जिससे निर्दोष व्यक्ति अपना नाम थाने, क्षेत्राधिकारी कार्यालय व पुलिस कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर देख सके और आर्थिक व मानसिक शोषण से बच सके।
उपरोक्त कार्ययोजना प्रारम्भ करने के उपरान्त जनपद में झूठे अभियोग लिखवाने की प्रवृत्ति में काफी कमी आयी है, अप्रैल 2018 में 431, मई 2018 में 209, जून में 208, जुलाई में 188, अगस्त में 139, सितम्बर में 114, अक्टूबर में 53, नवम्बर में 47 तथा दिसम्बर में 47 व्यक्तियों की नामजदगी झूठी पायी गयी, अप्रैल से दिसम्बर तक झूठी नामजदगी लिखवाने वाले अभियोगों में भारी कमी आयी। एसएसपी द्वारा विवेचक को 7 दिवस में नामजदगी की सत्यता का निर्धारण कर झूठे फंसाये गये व्यक्तियों का नाम विवेचना से हटाने का निर्देश दिया गया था तथा यह सूची प्रत्येक सोमवार को अध्यावधिक की जाती थी, जिन व्यक्तियों द्वारा जान-बूझकर किसी को झूठे अभियोग में फंसाने के उद्देश्य से अभियोग पंजीकृत कराया जाता है। धारा 194, 195 आईपीसी में झूठा अभियोग पंजीकृत करा के दण्डित कराने का प्रयास करने वाले व्यक्ति को वही सजा देने का प्रावधान है, जिन धाराओं के अंतर्गत मूल अभियोग पंजीकृत कराया गया था।
एसएसपी की कार्ययोजना से जनता में पुलिस की निष्पक्ष कार्य प्रणाली के प्रति विश्वास बढ़ा है तथा फर्जी अभियोग पंजीकरण पर अंकुश लगा है, जिससे विगत वर्ष की तुलना में 2018 में हत्या के अभियोगों में 31.76 प्रतिशत, बलात्कार के अभियोगों में 15 प्रतिशत तथा शीलभंग के अभियोगों में 23.14 प्रतिशत, डकैती में 25 प्रतिशत, लूट में 27 प्रतिशत, चोरी में 28.66 प्रतिशत, वाहन चोरी में 37.98 प्रतिशत तथा गृहभेदन में 30.68 प्रतिशत की कमी आयी है। एसएसपी की सक्रियता से यूपी- 100 के रिस्पांस टाईम सबसे कम होने के कारण बरेली जोन में जनपद प्रथम पायदान पर बना हुआ है, इन सभी कार्ययोजनाओं व सक्रियता से संपूर्ण उत्तर प्रदेश में जनपद का कुल लम्बित विवेचनाओं में प्रथम स्थान, कुल लम्बित विवेचना जघन्य अपराध में दूसरे स्थान, कुल गिरफ्तारी गैंगस्टर में तीसरा स्थान, कुल गिरफ्तारी/आत्म समर्पण में 11वां स्थान व जघन्य अपराध की गिरफ्तारी में 19वां स्थान है।
एसएसपी द्वारा जारी की गयी कार्ययोजना का पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह व मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा संज्ञान लिया गया तथा इस कार्ययोजना की प्रस्तुतिकरण हेतु आईपीएस वीक लखनऊ में आमंत्रित किया गया था। लखनऊ में इस कार्ययोजना को देखने के उपरान्त डीजीपी व अन्य उच्चाधिकारीगणों द्वारा इसकी बहुत सराहना की गयी। पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह द्वारा एसएसपी अशोक कुमार को आईपीएस वीक में स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया, इस योजना को प्रदेश के सभी जनपदों में लागू करने हेतु विचार किया जा रहा है।
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