बदायूं जिले के अभिवावकों को लूटने के उद्देश्य से ही कर्मचारियों का एक गिरोह एक बड़े ग्रुप के स्कूल की फ़्रैन्चाइजी ले आया है। सत्र शुरू करने की जल्दबाजी में भवन के निर्माण में मानकों पर ध्यान नहीं दिया गया है। भवन का निर्माण नियम विरुद्ध हुआ है, इसके बावजूद मान्यता के लिए आवेदन कर दिया गया, जिस पर बीएसए द्वारा नोटिस जारी कर दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि मान्यता दिलाने का ठेका एक पत्रकार ने ले लिया है।
जिले में ही कार्यरत कई कर्मचारियों के एक गिरोह ने अभिवावकों को लूटने के उद्देश्य से दिल्ली के एक बड़े ग्रुप की फ़्रैन्चाइजी ले ली और पूरब दिशा में निर्माण कार्य शुरू करा दिया। चालू सत्र से ही लूट करने की जल्दबाजी में गिरोह ने मानकों का ध्यान नहीं रखा। स्कूल का भवन बनाने के नियम होते हैं, उन नियमों की अनदेखी करने के बाद भी मान्यता के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में आवेदन कर दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि मान्यता संबंधी पटल तेजतर्रार महिला संभाली है, वह न रिश्वत लेती है और न ही दबाव में नियम विरुद्ध कार्य करती है, उसने नियमों के विरुद्ध बने भवन को लेकर नोटिस जारी कर दिया। मान्यता में देरी होने से कर्मचारियों के गिरोह की नींद उड़ गई। गिरोह ने पहले मान्यता के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाये। महिला ने दबाव नहीं माना तो, गिरोह ने एक पत्रकार को मान्यता कराने का ठेका दे दिया।
सूत्रों का कहना है कि एक बड़े ग्रुप से जुड़े एक पत्रकार ने ढाई लाख रूपये में मान्यता कराने का ठेका लिया है। गिरोह ने पत्रकार को डेढ़ लाख रुपया नकद दे दिया है। अब पत्रकार नियम विरुद्ध मान्यता कराने के लिए लगातार दबाव बनवा रहा है लेकिन, अभी तक मान्यता का पटल देखने वाली तेजतर्रार महिला नियम विरुद्ध कार्य करने को तैयार नहीं हुई है। माना जा रहा है कि ठेका लेने वाला पत्रकार अब अफसरों और नेताओं के माध्यम से दबाव बनवायेगा।
सवाल यह है कि मान्यता होने से पहले ही एडमिशन कैसे शुरू कर दिए गये हैं, इस ओर विभागीय और प्रशासनिक अफसरों को ध्यान देना चाहिए, साथ ही त्वरित कड़ी कार्रवाई करना चाहिए। चौंकाने वाली बात यह भी है कि कर्मचारियों पर इतना रुपया कहाँ से आया, इस सबकी आय विभाग को गहनता से जाँच करना चाहिए, इस सबसे यह भी स्पष्ट है कि अनैतिक रूप से धन कमाने वाले गिरोह द्वारा स्कूल समाज सेवा के लिए तो नहीं खोला जा रहा है।
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