बदायूं शहर के गांधी नगर में स्थित कार्यालय पर समाजवादी पार्टी की मासिक बैठक आयोजित की गई। बैठक में लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की गई एवं चिंतन के साथ कड़ा संघर्ष करने का आह्वान किया गया। चुनाव बाद हुई पहली बैठक में भी प्रमुख पदाधिकारी नहीं आये, जिससे बैठक की सिर्फ औपचारिकता ही पूरी की गई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए सपा जिलाध्यक्ष आशीष यादव ने कहा कि धर्मेंद्र यादव ने 10 वर्षों के अपने कार्यकाल में जनपद में विकास की गंगा बहा दी। मेडिकल कॉलेज, ओवर ब्रिज, बरेली फोरलेन, बाईपास, तमाम स्कूल और सड़कों के जाल प्रमुख उदाहरण हैं। लोकसभा चुनाव की मतगणना के पश्चात बिल्सी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत प्रशासन द्वारा भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में 8000 वोट अधिक गिन दिए गए, जिससे स्पष्ट होता है कि समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव को हराने के लिए बहुत से षड्यंत्र किए गए, इन्हीं षड्यंत्र के तहत जनता को भाजपा नेता बहकाने में कामयाब हो गए, जिससे कुछ दिन पूर्व आई भाजपा प्रत्याशी बहुत कम अंतर से चुनाव जीत गई, समाजवादी पार्टी चुनाव हारी है, हौसला नहीं। अब समय है कि हम सभी सपा कार्यकर्ता संगठित होकर चिंतन करें तथा 2022 के चुनाव की तैयारी में लग जायें।
बैठक में धर्मेंद्र यादव के प्रतिनिधि अवधेश यादव, निजी सचिव विपिन यादव, अवनीश यादव, गुलफाम सिंह यादव, डॉ. शकील, बलवीर सिंह, ओमवीर सिंह, रामवीर यादव, मो. जावेद, अशोक यादव, नईम उल हसन, निहाल मौर्य, हितेंद्र शंखधार, रामेश्वर शाक्य, किशोरी लाल शाक्य, प्रदीप गुप्ता, लाल मोहम्मद अंसारी, महेंद्र प्रताप, मधु सक्सेना, राजू यादव, हाजी अबू बक्र, साजिद अली, जमीर खान, गुड्डू गाजी, मुनेंद्र सिंह, ब्रह्मपाल सिंह, विशाल यादव, आमोद गुप्ता, विमल सागर, प्रशांत सिंह, सुरेंद्र सिंह, थान सिंह, संतोष कश्यप, गौरव माहेश्वरी, सुभाष यादव, उपदेश गुर्जर, शाहिदा बेगम, नेहा सिंह, इमराना, गोल्डी सक्सेना और प्रभात अग्रवाल सहित तमाम लोग मौजूद रहे। संचालन गुलफाम सिंह यादव ने किया।
ध्यान देने की विशेष बात यह है कि बैठक में जिलाध्यक्ष के अलावा एक-दो प्रमुख पदाधिकारी ही थे। जिला पंचायत अध्यक्ष और सदस्य, विधायक, पूर्व विधायक, तमाम संस्थाओं के पूर्व चेयरमैन, ब्लॉक प्रमुख, फेसबुक पर अभद्रता कर सपा प्रत्याशी को हरवाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कट्टर समाजवादियों में से एक भी बैठक में नहीं आया, जबकि चुनाव के बाद हुई प्रथम मासिक बैठक में सभी पदाधिकारियों का आना बेहद जरूरी था। चौंकाने वाली बात यह है कि अनुपस्थित रहने वालों को जिलाध्यक्ष नोटिस भी नहीं दे सकते, ऐसे हालातों में संगठन को मजबूत कैसा किया जा सकता है।
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