बदायूं में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व मंत्री आबिद रजा ने बयान जारी किया है। आबिद रजा का कहना है कि देश भर में कानून के खिलाफ दरगाहों व मस्जिदों का सर्वे कराना ठीक नहीं है, साथ ही उन्होंने सम्भल हिंसा में मुसलमान व बांग्लादेश में हिन्दु समाज के साथ ना-इंसाफी होने का भी मुद्दा उठाया है।
समाजवादी पार्टी के नेता आबिद रजा ने कहा कि जब संसद ने 1991 में एक्ट बना दिया कि 1947 के बाद किसी भी धर्म के पूजा स्थल का स्वरूप व चरित्र नहीं बदला जायेगा तो, आखिर देश में दरगाहों व मस्जिदों के सर्वे के आदेश कानून के खिलाफ क्यूं किये जा रहे हैं, इस पर हम सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह करते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय स्वयं संज्ञान लेकर दरगाहों व मस्जिदों के सर्वे पर रोक लगाने के आदेश करें, ताकि देश भर में सौहार्द व भाईचारा बना रहे।
उन्होंने कहा कि अजमेर शरीफ की दरगाह (हिन्दु-मुस्लिम एकता प्रतीक) व सम्भल की जामा मस्जिद, बदायूं की जामा मस्जिद, काशी व मथुरा की मस्जिदों का सर्वे देश की एकता व देशहित में ठीक नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने बावरी मस्जिद का फैसला आस्था की बुनियाद पर दिया। देश के मुसलमानों ने हिन्दु समाज की मोहब्बत व देश में भाईचारा बना रहे, देश की एकता के लिए इस फैसले को दिल से स्वीकार किया और आज वहां राम मन्दिर बन गया, किसी मुसलमान को कोई ऐतराज नहीं हुआ। कुछ सियासी पार्टियां नहीं चाहती थीं कि राम मन्दिर पर हिन्दु-मुस्लिम एक राय हो।
उन्होंने कहा कि आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने भी बावरी मस्जिद के फैसले के बाद मीडिया के माध्यम से देशवासियों से कहा कि अब हर मस्जिद के अन्दर मन्दिर खोजना बन्द कर दें, उसके बाद भी देश विरोधी लोग, ऐसे मुद्दे को खोजना बन्द नहीं करते। उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूँ कि आप हर साल अजमेर शरीफ के उर्स पर आस्था की चादर भेजते हैं। आप का नारा है “सबका साथ, सबका विकास”, आपको 1991 का कानून, जो “पूजा स्थलों” के लिए बना है, देशहित में उसके पालन की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि आप पूरे देश के मुखिया हैं।
आबिद रजा ने कहा कि सम्भल हिंसा में प्रजातंत्र और कानून को मजाक बना दिया गया है। सरकार के इशारे पर सीनियर अधिकारी कुर्सी बचाने के लिए व कुर्सी पाने के लिए दिल से बे-दिल से (यह उनका जमीर जानता होगा) खुले तौर से ना-इंसाफी कर रहे हैं। सम्भल हिंसा में जिन पांच लोगों की मौत हुई, आखिर उनके हत्यारों को पकड़ कर जेल क्यूं नहीं भेजा रहा है। मैं सरकार से हिंसा में प्रत्येक मृतक के परिवार को एक-एक करोड रूपये देने की मांग करता हूँ।
उन्होंने कहा कि अखबार व टीवी के माध्यम से बांग्लादेश में जो हिन्दू भाईयों के साथ या, उनके पूजा स्थलों के साथ जो हो रहा है, हम उसकी घोर निंदा करते हैं, इसमें जो भी दोषी हो, उसको सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। हम प्रधानमंत्री से यह भी आग्रह करना चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ से बात करके बांग्लादेश सरकार पर दबाब बनायें कि बांग्लादेश की सरकार बांग्लादेश में हिन्दू भाईयों व उनके पूजा स्थल की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
सपा के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि देश का बेरोजगार, रोजगार न मांगे, किसान अपनी फसल की कीमत न मांगे, जनता मंहगाई पर सवाल न करे, इस सबसे बचने के लिए देश व प्रदेश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए सु-नियोजित तरीके से “दरगाह-मस्जिद के झगड़े पैदा किये जा रहे हैं, ऐसे लोग राष्ट्र विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि हम हमेशा मजलूम और जालिम की लड़ाई में मजलूम के साथ खड़े होते हैं, क्योंकि इस्लाम मजहब किसी इंसान की बेवजह दूसरे इंसान पर जुल्म करने की इजाजत नहीं देता। मोहब्बत, प्यार, अखलाक से रहना सिखाता है।
(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए वाट्सएप चैनल फॉलो कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)