बदायूं शहर में रात्रि विश्राम करने आये समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव टैंपो हाई करने की जगह लो कर गये। अखिलेश यादव ने पार्टी के तमाम स्थानीय नेताओं को अहमियत नहीं दी, जिससे नेता आहत नजर आ रहे हैं। कुछेक नेता सार्वजनिक तौर पर अखिलेश यादव की आलोचना तक कर रहे हैं, जिससे आम जनता के बीच संदेश अच्छा नहीं जा रहा है।
अखिलेश यादव का गुरुवार को मुरादाबाद में कार्यक्रम था, जहाँ पत्रकारों के साथ भिड़ंत हो गई, जिसकी देश भर में निंदा और आलोचना की जा रही है, उनका शुक्रवार को रामपुर में कार्यक्रम था, जहाँ उन्होंने साइकिल यात्रा को रवाना किया। शनिवार को कासगंज में किसान पंचायत को संबोधित करना था, इस बीच उन्हें शुक्रवार की रात में बदायूं शहर में रुकना था, जिससे स्थानीय नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता बेहद उत्साहित नजर आ रहे थे।
गुरुवार की रात में ही सपा नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कुंवरगांव से लेकर कछला तक झंडे-बैनर लगा दिए लेकिन, अखिलेश यादव जिले की सीमा में लगभग रात्रि 8 बजे घुसे, जिससे उन्हें झंडा-बैनर दिखाई ही नहीं दिए, सो नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के रूपये यूं ही बर्बाद हो गये, वे एक निजी होटल में ठहरे, जहाँ मिलने गये स्थानीय नेताओं से मना कर दिया गया तो, नेताओं ने सोचा कि वे आज थके-हारे हैं,जिससे सुबह मुलाकात करेंगे लेकिन, शनिवार को भी उन्होंने सभी नेताओं से भेंट नहीं की।
सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव को सुबह का नाश्ता अपने अनुज धर्मेन्द्र यादव के आवास पर करना था लेकिन, वे वहां भी नहीं गये, वे सुबह को भी अधिकांश स्थानीय नेताओं से नहीं मिले। अखिलेश यादव को कासगंज जाना था, जिससे स्थानीय नेताओं ने उनका जगह-जगह स्वागत करने का कार्यक्रम बना लिया। तमाम प्रमुख स्थानों पर स्थानीय नेता कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ माला लेकर खड़े हो गये लेकिन, अखिलेश यादव ने अहमियत नहीं दी। कहीं रुके तो, कार से बाहर नहीं आये, तमाम स्थानों पर रुके ही नहीं, जिससे तीन दिनों से उत्साहित दिखाई दे रहे नेताओं का मनोबल टूट गया। युवजन सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष वसीम अहमद अंसारी ने आक्रोश फेसबुक पर ही व्यक्त कर दिया, उनके अलावा भी तमाम लोग निराशा जताते दिखाई दे रहे हैं। अखिलेश यादव की राजनीति थी या, कुछ और, यह लोग समझ नहीं पा रहे हैं।
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