बदायूं में किसी ने धर्मेन्द्र हटाओ, बदायूं बचाओ और अखिलेश यादव अगला लोकसभा चुनाव बदायूं से लड़ें, ऐसी मांग करते हुए फ्लेक्स लगवा दिए। फ्लेक्स किसने लगवाये? धर्मेन्द्र यादव के विरोधी ने लगवाये अथवा, समाजवादी पार्टी के किसी शुभचिंतक ने लगवाये?, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन, इस फ्लेक्स को लेकर धर्मेन्द्र यादव के समर्थकों ने जिस प्रकार प्रतिक्रिया दी है, वह अप्रत्याशित है।
राजनीति बड़ा ही रोचक विषय है, इसमें जितना ग्लैमर है, उससे भी कहीं ज्यादा निंदा भी है। बड़े दिल के लोग ग्लैमर और निंदा को समान रूप से ही देखते हैं। बनारस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध पोस्टर लगा दिए गये। अमेठी में स्मृति ईरानी के विरुद्ध और उससे पहले राहुल राहुल गाँधी के विरुद्ध भी पोस्टर लगाये गये थे, इसके अलावा बड़े नेताओं के विरुद्ध सोशल साइट्स पर बहुत कुछ होता रहता है। जो बातें व्यक्तिगत रूप से भी चर्चा का विषय नहीं होती थीं, वह सब अब सोशल साइट्स पर किया जा रहा है लेकिन, नेता समझते हैं कि दौर बदल गया है, अब यह सब भी राजनीति और जीवन का हिस्सा है, इसलिए नेता अब सहज हो गये हैं।
धर्मेन्द्र यादव की बात करें तो, वे भी प्रदेश-देश के ए क्लास के माने जाते हैं। तीन बार सांसद निर्वाचित होना कोई छोटी बात नहीं होती, इसके अलावा वे लोकसभा में समाजवादी पार्टी का पक्ष रखते रहे हैं, जिससे उन्हें देश भर में जाना जाता है, उन्हें लोग पसंद करते हैं, उनका भी बड़ा सम्मान किया जाता है। अब जब लोकप्रिय हैं और सम्मान किया जाता है तो, जाहिर है कि निंदा भी बड़ी ही होगी। जिस प्रकार गुणगान अच्छा लगता है, वैसे ही निंदा भी अच्छी भले ही न लगे पर, उसे दिल पर नहीं लेना चाहिए।
अब बात करते हैं फ्लेक्स की तो, अब मोबाइल में फोटो के साथ लोकेशन भी सेव हो जाती है। खबर के साथ जो फोटो लगा है, उसमें फोटो खींचने का समय और उसमें लोकेशन दिखाई दे रही है, इससे स्पष्ट है कि उक्त स्थान पर फ्लेक्स लगा था, जिसे रियलिटी चेक करने वाले साइंटिस्ट देख सकते हैं। फ्लेक्स सुबह तक था पर, 11 बजे के बाद कोई उखाड़ ले गया। फ्लेक्स समाजवादी पार्टी का विरोधी क्यों लगवायेगा? अगर, किसी गैर सपाई ने लगवाया है तो, निंदनीय बात है। अब बात करते हैं फ्लेक्स में लिखी बातों पर तो, उसमें दो बातें प्रमुख हैं। एक तो यही कि फ्लेक्स लगवाने वाला धर्मेन्द्र यादव के कार्य और नीति से आहत है। अगर, समाजवादी पार्टी का ही है तो, समाजवादी पार्टी की बुरी स्थिति होने पर गुस्से में है। दूसरी प्रमुख बात है कि अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की मांग की गई है, इस बात पर तो धर्मेन्द्र यादव के समर्थकों को खुश होना चाहिए। अखिलेश यादव स्वयं बदायूं से चुनाव लड़ जायें तो, इससे बड़ी खुशी की बात क्या होगी।
जो विकास को पसंद करने वाले हैं, उन्हें भी और ज्यादा खुश होना चाहिए, क्योंकि जब धर्मेन्द्र यादव इतना विकास करा सकते हैं तो, अखिलेश यादव तो बदायूं को संतृप्त ही कर देंगे। इतना सब होने के बावजूद बदायूं के माथे से पिछड़ेपन का कलंक नहीं हट रहा है। अगर, अखिलेश यादव स्वयं आ गये और उन्हें अवसर मिल गया तो, वे बदायूं को क्षण भर में विकसित जिलों की श्रेणी में पहुंचा देंगे।
फ्लेक्स लगवाने वाला अगर, समाजवादी ही है तो, उसके नजरिये से भी देख लीजिये। बदायूं सपा का अभेद्य किला रहा है। बदायूं के बारे में हर दल का यही मानना रहा है कि वहां चुनाव लड़ने की औपचारिकता पूरी करना है सिर्फ। हर राजनैतिक पद सपा के पास ही रहा है, ऐसे में सपा ऐसी अवस्था में क्यों पहुंच गई कि यहाँ पंचायत चुनाव में सपा को प्रत्याशी तक न मिले पाये। 51 जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशी सपा नहीं उतार पाई, इस पर कहा जा सकता है कि हर क्षेत्र में एक से अधिक सपाई थे, इसलिए समर्थन नहीं दिया, फिर अध्यक्ष पद के लिए कड़ी मशक्कत क्यों करना पड़ी। पूर्व विधायक सिनोद कुमार शाक्य “दीपू भैया” की पत्नी सुनीता शाक्य ने नामांकन पत्र खरीद लिया था, वे नामांकन पत्र जमा करने से कुछ घंटे पहले समाजवादी पार्टी में आई थीं।
जिले में 15 विकास क्षेत्र हैं। समाजवादी पार्टी ने ब्लॉक प्रमुख पद के प्रत्याशियों की कोई सूची जारी नहीं की। 13 क्षेत्रों में भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जीत गये। शेष दो क्षेत्रों में भी भाजपा ने चुनाव लड़ कर कब्जा कर लिया। समाजवादी पार्टी स्थापना के बाद से इतनी असहाय कभी नहीं दिखी, ऐसे में किसी को बुरा लग भी सकता है। मूल बात धर्मेन्द्र यादव का विरोध नहीं बल्कि, यह सवाल है कि समाजवादी पार्टी की ऐसी गति क्यों हुई है? फ्लैक्स लगाने वाले को खोजने की जगह यह मंथन करना चाहिए कि समाजवादी पार्टी अपने स्वर्णिम दौर में वापस कैसे जायेगी?
अंतिम बात यह है कि आम जनता विचार की समर्थक होती है, विचार के लिए खून तक दे देती है। बहुत बार ऐसा भी होता है कि नेतृत्वकर्ता से आम जनता मिल भी नहीं पाती कभी, फिर भी विचार के लिए आम जनता संघर्ष करती रहती है। समाजवादी पार्टी का विचार जहाँ से उत्पन्न हुआ, उस घर का व्यक्ति स्वयं ही नेतृत्व करने आ जाये तो, समर्थकों का जोश कई गुना बढ़ जाना चाहिए था। जिले का नेतृत्व धर्मेन्द्र यादव कर रहे हैं, इसलिए श्रेय उनको ही दिया जायेगा। ओवरब्रिज, राजकीय मेडिकल कॉलेज, कई सारे बिजली घर, तमाम कॉलेज, बाई-पास, हाइवे, लिंक रोड सहित अन्य विकास कार्यों का श्रेय देकर आम जनता प्रशंसा करती है तो कोई एक या, दो, या सौ, अथवा हजार लोग धर्मेन्द्र यादव की निंदा भी कर रहे हैं, जिस पर मंथन करना चाहिए।
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