बदायूं जिले में हाजी वसीम अहमद अंसारी को समाजवादी युवजन सभा का जिलाध्यक्ष मनोनीत किया गया था। अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच तनातनी बढ़ गई तो, सांसद धर्मेन्द्र यादव के इशारे पर अखिलेश यादव के पक्ष में वसीम अहमद अंसारी ने भी पद से त्याग पत्र दे दिया था, जिसके बाद उन्हें पूरी तरह किनारे कर दिया गया।
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वसीम अहमद अंसारी ने संघर्षशील और साहसी युवा के रूप में पहचान शुरुआत में ही बना ली थी। उम्र बढ़ी तो, उनका परिचय क्षेत्र भी बढ़ता रहा, वे नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ कर अपने जनबल का अहसास भी करा चुके हैं। सभासद भी रहे हैं, इन्हीं सब खूबियों के चलते सांसद धर्मेन्द्र यादव ने वसीम अहमद अंसारी को अपना चहेता बना लिया और प्यार का हवाला देकर विरोधियों के विरुद्ध जमकर प्रयोग करने लगे। 2 अगस्त 2016 को उन्हें युवजन सभा का जिलाध्यक्ष मनोनीत करा दिया गया। कूटनीति को न समझने वाले वसीम अहमद अंसारी दिल से धर्मेन्द्र यादव के नाम का जयकारा लगाते रहे।
समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में विवाद शुरू हुआ और अखिलेश यादव एवं शिवपाल सिंह यादव के बीच जंग होने लगी तो, सांसद धर्मेन्द्र यादव के इशारे पर तमाम लोगों ने पद से त्याग पत्र दे दिए। वसीम अहमद अंसारी ने यह सोच कर अपनी बलि दे दी कि धर्मेन्द्र यादव ही समय आने पर सही कर देंगे पर, उनके साथ एक दम उल्टा हुआ। जिस-जिस ने त्याग पत्र दिए थे, उनके त्याग पत्र अस्वीकृत हो गये लेकिन, वसीम अहमद अंसारी का त्याग पत्र स्वीकृत कर लिया गया, जिसके बाद उनसे किनारा कर लिया गया।
युवजन सभा का अभी तक नया जिलाध्यक्ष मनोनीत नहीं किया गया है। विभिन्न जातियों के एक दर्जन से अधिक युवा स्वयं को जिलाध्यक्ष पद का दावेदार मान रहे हैं, साथ ही अधिकांश को आश्वासन भी दे दिया गया है। सवाल यह है कि वसीम अहमद अंसारी में क्या कमी थी, उन्होंने क्या गलती की थी? रही चरण वंदना न करने की बात तो, वह सच्चा मुस्लिम नहीं कर सकता, क्योंकि इस्लाम में व्यक्ति के पैर छूना हराम बताया गया है।
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