बदायूं जिले में राजनैतिक खींचतान के चलते बेकसूर लोग फंसते रहते हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के चलते बेकसूर मुस्लिम प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसमें न्यायालय से सभी के वारंट जारी हो गये हैं। वारंट जारी होने से हड़कंप मचा हुआ है, साथ ही मुकदमे में फंसे लोग और उनके परिजन उस समय की व्यवस्था को जमकर कोसते नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला ऊपरपारा से 20 सितंबर 2016 को दोपहर तीन बजे के करीब घर से खेलने निकला शारिक उर्फ खिल्लू का ढाई वर्षीय मोहम्मद हमजा नाम का बच्चा अचानक गायब हो गया था, उसकी 27 सितंबर 2016 को नाले से लाश बरामद हुई थी, जिसके बाद हाहाकार मच गया था।
लापता मासूम की सदर विधायक के आवास के पीछे मिली लाश
निवर्तमान सदर कोतवाल संत प्रसाद उपाध्याय के विरुद्ध पचास-साठ लोग हाथों में कोतवाल के विरुद्ध लिखी तख्तियां लेकर लालपुल स्थित हाईवे पर जमा हो गये थे और नारेबाजी करते हुए रोड जाम कर दिया था। भीड़ पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा को मौके पर बुलाने की मांग कर रही थी। पुलिस ने सूचना भेज कर जाम खुलवाने में मदद के लिए आबिद रजा को बुलवाया था, इस बीच उत्तर प्रदेश श्रम संविदा सलाहकार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष यासीन उस्मानी भी आ गये थे, वे कुछ कह पाते, उससे पहले आबिद रजा ने जाम खुलवा कर भीड़ को रवाना कर दिया था।
मृतक के पिता शारिक उर्फ खिल्लू ने सदर कोतवाल संत प्रसाद उपाध्याय व बजाज एजेंसी के स्वामी राजू आहूजा के विरुद्ध बेटे का अपहरण कर हत्या करने की तहरीर दी थी, जिसे निवर्तमान एसओ सिविल लाइन एके सिंह ने रिसीव किया था लेकिन, पुलिस ने बाद में मुकदमा दर्ज नहीं किया, साथ ही पुलिस ने पीड़ित पिता सहित एक दर्जन से अधिक लोगों को नामजद करते हुए पचास-साठ प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया था, वहीं सपा नेताओं ने पीड़ित पिता को आर्थिक मदद दिलाने का आश्वासन दिया था पर, उसे कुछ नहीं दिलाया गया।
उक्त प्रकरण में पीड़ित पिता को न आर्थिक मदद मिली और न ही न्याय मिला, वहीं न्याय दिलाने में सहयोग करने वाले अब दौड़े घूम रहे हैं। शारिक के साथ प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया। न्यायालय से वारंट जारी हो गये हैं, जिससे हड़कंप मचा हुआ है। संबंधित परिवारों के लोग बेहद आक्रोशित बताये जा रहे हैं और उस समय की व्यवस्था को जमकर कोसते दिख रहे हैं।
यह भी बता दें कि उस समय सांसद धर्मेन्द्र यादव और पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा के बीच जंग छिड़ी हुई थी। आबिद रजा को समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था एवं उन पर शिकंजा कसने को इंस्पेक्टर संत प्रसाद उपाध्याय को बाहर से बुला कर कोतवाल बनवाया गया था, वे आबिद रजा का तो कुछ नहीं बिगाड़ पाये थे पर, आम मुस्लिमों पर शिकंजा जरुर कस गये थे, जिनकी अब नींद उड़ी हुई है। प्रकरण में 30 नवंबर को न्यायालय में सुनवाई की तिथि तय है।
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