बदायूं के पूर्व सीओ सिटी वीरेंद्र यादव ने विभागीय संबंधों का दुरूपयोग करते हुए पूर्व विधायक रामखिलाड़ी सिंह यादव और उनके भाई श्रीनिवास उर्फ ढाकन को फंसा दिया है। एफआईआर दर्ज न करने के लिए कुख्यात पुलिस ने जाँच के बिना ही पूर्व विधायक के विरुद्ध तत्काल मुकदमा भी दर्ज कर लिया है।
बदायूं में वीरेंद्र यादव सीओ सिटी रहे हैं। पद पर रहते समय ही भाजपा से सांसद बनने के सपना देखने के लिए चर्चित रहे हैं। रिटायर होने के बाद वीरेंद्र यादव बदायूं में ही बस गये। चर्चा है कि एक ट्रस्ट में पैसा लगा कर बारातघर बनावाया, जिसे अब संचालित कर रहे हैं और उसी में रह रहे हैं। वीरेन्द्र यादव का आरोप है कि उन्होंने गुन्नौर विधान सभा क्षेत्र के पूर्व सपा विधायक रामखिलाड़ी सिंह यादव व उनके भाई श्रीनिवास उर्फ ढाकन से 1 मई 2018 को फार्च्यूनर कार संख्या- यूपी- 38 डी 7000 15 लाख 75 हजार में खरीदी थी। एक सप्ताह के अंदर एनओसी दिलाने और कागज ट्रांसफर कराने का वादा किया गया था लेकिन, रामखिलाड़ी सिंह यादव और श्रीनिवास उर्फ ढाकन गाड़ी ट्रांसफर करने में टाल-मटोल कर रहे हैं।
आरोप है कि गाड़ी बेचते समय नकली आरसी दिखाई गई थी, अब उन्हें जानकारी हुई है कि गाड़ी पर इलाहाबाद बैंक का 8 लाख रुपया लोन है, उनके साथ धोखाधड़ी की गई है। एफआईआर दर्ज न करने के लिए कुख्यात पुलिस ने तत्काल मुकदमा भी दर्ज कर लिया है, जबकि आरोप पूर्व विधायक पर लगाया गया है। पुलिस ने आरोप की जाँच करना भी उचित नहीं समझा।
सूत्रों का कहना है कि वीरेन्द्र यादव और रामखिलाड़ी सिंह यादव के बीच रुपयों के लेन-देन को लेकर विवाद है लेकिन, विभागीय पहुंच का दुरूपयोग करते हुए वीरेंद्र यादव ने दबाव बनाने के उद्देश्य से मुकदमा दर्ज कराया है। खैर, जो भी हो, अब पुलिस की जाँच में मामला स्पष्ट हो जायेगा।
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