बदायूं लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेन्द्र यादव और बदायूं विधान सभा क्षेत्र के समाजवादी पार्टी से विधायक रहे व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा के बीच अघोषित जंग चल रही है। एक समय दोनों के समर्थक आक्रामक हो उठे थे और एक-दूसरे के विरुद्ध प्रदर्शन करते हुए पुतला तक फूँक रहे थे, इस प्रकरण को आम जनता देख रही है लेकिन, यह समझ नहीं पा रही है कि यह सब क्यों हो रहा है, इस असमंजस के वातावरण में गौतम संदेश ने पोल कराना उचित समझा।
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गौतम संदेश ने 13 नवंबर 2018 को पोल शुरू किया और आम जनता से आह्वान किया कि वह वोट देकर पोल का हिस्सा बने। किसी को यह न लगे कि उसे पोल की जानकारी नहीं हो सकी, इसलिए पर्याप्त समय भी दिया गया। 20 नवंबर रात्रि 12 बजे तक पोल में हिस्सा लेने का समय निर्धारित किया गया। सवाल था कि “धर्मेन्द्र यादव सही हैं या, आबिद रजा?”, इस सवाल का जवाब देने के लिए कई सारे विकल्प रखे गये। दोनों के समर्थकों अथवा, आम जनता ने पोल में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। सोशल साइट्स पर सांसद धर्मेन्द्र यादव और उनके समर्थक बेहद सक्रिय हैं, उनके फेसबुक पेज पर 1 लाख 39 हजार से ज्यादा लाइक हैं, उनकी सोशल साइट्स संचालित करने वाली एक ऑन लाइन टीम है, जो उनके नाम के कई पेज संचालित करती हैं, उन सब पर भी लाखों लाइक हैं, जिसके बल पर टीम का अध्यक्ष सांसद का बेहद चहेता बना हुआ है, इस सबके अलावा धर्मेन्द्र यादव न सिर्फ एक लोकसभा क्षेत्र बल्कि, प्रदेश स्तर पर भी लोकप्रिय नेता हैं, इसके विपरीत आबिद रजा की राजनीति एक विधान सभा क्षेत्र तक सीमित रही है एवं वे इंटरनेट फ्रेंडली भी नहीं माने जाते, इसके बावजूद पोल के अप्रत्याशित परिणाम सामने आये हैं।
पोल स्वचालित था, जो निर्धारित समय स्वतः बंद हो गया। पोल के शुरुआती चरण में और फिर एक-दो बार बीच में सांसद धर्मेन्द्र यादव कई सौ वोटों के साथ आगे रहे लेकिन, समय बढ़ने के साथ आबिद रजा भारी पड़ने लगे और फिर अंत तक वे आगे ही बने रहे। 55% लोगों का मानना है कि पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा सही हैं, वहीं 42% लोगों का मानना है सांसद धर्मेन्द्र यादव सही हैं। 1% लोग दोनों को गलत मानते हैं, 1% लोग दोनों को सही मानते हैं, साथ ही 1% लोग ऐसे भी हैं, जो कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हैं।
गौतम संदेश ऑन लाइन पोल के साथ ऑफ लाइन पोल भी कर रहा था, जिसके अंतर्गत प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र से विभिन्न धर्मों और विभिन्न जातियों के 50-50 लोग बतौर सेंपल शामिल किये गये और सभी से उक्त सवाल किया गया, उसके परिणाम भी चौंकाने वाले हैं लेकिन, दोनों के समर्थक पोल को लेकर बेहद गंभीर हैं, साथ ही तटस्थ भूमिका के लिए गौतम संदेश जाना जाता है, ऑफ लाइन पोल के परिणामों पर सवाल उठाया जा सकता है, इसलिए ऑफ लाइन आये परिणाम घोषित न करने का निर्णय लिया गया है। तकनीक के चलते पारदर्शिता बढ़ी है। पारदर्शिता को बनाये रखने के लिए तकनीकी परिणामों को ही ज्यादा सटीक माना जायेगा, जिसमें 13% ज्यादा वोट पाने वाले आबिद रजा विजेता साबित हुए हैं। 21 नवंबर को आबिद रजा का जन्मदिन भी है, उन्हें आम जनता ने बड़ा तोहफा दे दिया है। विवादित कहे जाने वाले नेता आबिद रजा लोकप्रिय भी साबित हुए हैं, क्योंकि पद और संसाधनों की दृष्टि से आबिद रजा का सांसद धर्मेन्द्र यादव से कोई मुकाबला नहीं था। माना जा रहा था कि ऑन लाइन पोल में आबिद रजा कई गुना वोटों से हारेंगे पर, आबिद रजा जीत गये, इसीलिए परिणामों को अप्रत्याशित कहा जा रहा है।
खैर, एक और बात स्पष्ट करना सही रहेगी। मुद्दों पर आधारित सवालों के जवाब दुश्मन भी सही दे सकते हैं और दोस्त भी दिल तोड़ सकते हैं। उक्त सवाल धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा के बीच चल रहे विवाद पर आधारित था, जिसमें आबिद रजा को सही कहने वालों की संख्या ज्यादा है, इसे इतना ही समझा जाये। हो सकता है कि किसी अन्य मुद्दे पर किये गये सवाल के जवाबों के परिणाम कुछ और आयें। गौतम संदेश ने स्थिति स्पष्ट कर दी है लेकिन, दोनों के समर्थक स्वतंत्र हैं, सामने आये परिणामों को वे जिस तरह लेना चाहें, ले सकते हैं।
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