धर्मेन्द्र यादव की चाल में नहीं फंसे मुस्लिम खान, आबिद रजा और मुस्लिम खान ने पी चाय

धर्मेन्द्र यादव की चाल में नहीं फंसे मुस्लिम खान, आबिद रजा और मुस्लिम खान ने पी चाय

बदायूं जिले में राजनीति पलटने की हर सीमा पार गई है। स्वयं को चाणक्य समझने वाले धर्मेन्द्र यादव हाशिये पर दिखाई दे रहे हैं, वहीं जिनको लड़ाने का प्रयास किया, वे एक साथ मिल कर रणनीति बनाते दिखाई दे रहे हैं, जिससे मुस्लिम समाज में धर्मेन्द्र यादव की छवि लगातार खराब हो रही है, इसका दुष्परिणाम विधान सभा चुनाव में भले ही कम दिखाई दे पर, लोकसभा चुनाव में धर्मेन्द्र यादव को निजी तौर पर बड़ा नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।

बात उन दिनों की है जब धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा के बीच जुबानी जंग चल रही थी। बिजली की अंडर ग्राउंड केबिल के मुद्दे को उछालते हुए आबिद रजा भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे थे, जिसको लेकर आबिद रजा का समाजवादी पार्टी से निष्कासन हुआ, इसके बाद धर्मेन्द्र यादव ने आबिद रजा को ठिकाने लगाने के लिए पूर्व विधायक मुस्लिम खान को समाजवादी पार्टी में शामिल किया, जबकि समाजवादी पार्टी के जिले में स्तंभ कहे जाने वाले दिवंगत बनवारी सिंह यादव ने विरोध किया लेकिन, धर्मेन्द्र यादव को लगता था कि आबिद रजा से मुचैटा मुस्लिम खान ही ले सकते हैं, सो उन्होंने बनवारी सिंह यादव के विरोध को दरकिनार कर दिया था।

मुस्लिम खान समाजवादी पार्टी में तो आ गये पर, वे धर्मेन्द्र यादव की इच्छा के अनुसार आबिद रजा से कभी नहीं भिड़े। सूत्रों का कहना है कि मुस्लिम खान को सदर क्षेत्र से टिकट देने का ऑफर दिया गया पर, उन्होंने साफ मना कर दिया, उन्होंने शेखूपुर विधान सभा क्षेत्र पर ही दावेदारी ठोंकी, उन्हें इस बार भी टिकट नहीं मिला तो, वे बहुजन समाज पार्टी में चले गये और टिकट लेकर समाजवादी पार्टी को ही चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं, उनके चुनाव लड़ने से समाजवादी पार्टी को बड़ा नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।

इधर आबिद रजा को भी समाजवादी पार्टी ने टिकट नहीं दिया। टिकट न मिलने के बाद उन्होंने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया और जिले भर में अलग-अलग प्रत्याशियों का समर्थन करने का ऐलान कर दिया, जिसके बाद उनसे मिलने तमाम प्रत्याशी आये। सहसवान क्षेत्र के बसपा प्रत्याशी मुसर्रत अली “बिट्टन”, बिल्सी क्षेत्र के आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी मीर हादी अली “बाबर मियां” ने भेंट की, इसी क्रम में मुस्लिम खान भी आज आबिद रजा के आवास पर पहुंचे और दोनों के बीच जिले की राजनीति को लेकर देर तक चर्चा हुई।

आबिद रजा और मुस्लिम खान की मुलाकात के परिणाम क्या आयेंगे? इस बारे में तो कुछ नहीं कहा जा सकता पर, धर्मेन्द्र यादव का अपमान जरूर दिखाई दे रहा है। स्वयं को चाणक्य समझने वाले धर्मेन्द्र यादव मुस्लिम खान की आबिद रजा से भिड़ंत नहीं करा पाये, साथ ही वे दोनों आज साथ बैठ कर चाय पी रहे हैं। मुस्लिम खान को टिकट न मिलने के यह भी मायने निकाले जा रहे हैं कि उन्हें समाजवादी पार्टी में नेता के रूप में नहीं बल्कि, गुंडा के रूप में लिया गया था, वे शरीफ निकले, इसलिए उन्हें किनारे कर दिया गया, जिसका दुष्परिणाम समाजवादी पार्टी को मिले, न मिले पर, माना जा रहा है कि धर्मेन्द्र यादव को इस सबकी बड़ी राजनैतिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।

खैर, वसीम बरेलवी के शेर के साथ आनंद लीजिये …

क्या दुःख है समंदर को बता भी नहीं सकता
आंसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता
तू छोड़ रहा है तो खता इसमें तेरी क्या
हर शख्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता
वैसे तो एक आंसू ही बहा कर मुझे ले जाये
ऐसे कोई तूफान हिला भी नहीं सकता
घर ढूंढ रहे हैं मेरा रातों के पुजारी
मैं हूँ कि चरागों को बुझा भी नहीं सकता

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