बदायूं जिले के कस्बा सहसवान में कोतवाल हरेन्द्र सिंह नियम-कानूनों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। जमातियों को छुपाने पर कार्रवाई न होने से उनका मनोबल और बढ़ गया है। दिनदहाड़े फायरिंग करने के प्रकरण में पीड़ित से तहरीर बदलवा ली और फिर शराब माफियाओं में से एक को छोड़ दिया। तमाम ईमानदार और तेजतर्रार इंस्पेक्टर इधर-उधर तैनात हैं लेकिन, उन्हें कार्यभार नहीं दिया जा रहा है।
कस्बा सहसवान के मोहल्ला नयागंज में पुलिस की मिलीभगत से लॉक डाउन में भी जमकर शराब बेची जा रही थी। शनिवार को इकबाल नाम के एक युवक ने भीड़ और शराब बेचने को लेकर सवाल कर दिया तो, दबंग शराब माफिया भाईयों ने अवैध पिस्टल से कई फायर कर दिए। युवक फायर से किसी तरह बच गया था। सूचना पर आई पुलिस ने दबंग शराब माफिया आदेश को हिरासत में ले लिया था लेकिन, पुलिस माफिया के साथ वीवीआईपी जैसा व्यवहार करती रही।
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पीड़ित इकबाल ने आदेश और शिवम के विरुद्ध तहरीर दे दी थी लेकिन, पुलिस ने तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं किया। पुलिस और आरोपी मिल कर पीड़ित पर तहरीर वापस लेने का दबाव बनाने रहे लेकिन, पीड़ित दबाव में नहीं आया। शनिवार शाम को पीड़ित इकबाल ने इन्स्पेक्टर हरेन्द्र सिंह को फोन किया तो, उन्होंने स्पष्ट कहा कि तहरीर बदल कर दे जाओ, किसी एक के विरुद्ध वे मुकदमा दर्ज कर लेंगे। इंस्पेक्टर हरेन्द्र सिंह आदेश और शिवम के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने को तैयार ही नहीं हुए तो, पीड़ित इकबाल ने बदल कर तहरीर दी, जिसमें से शिवम का नाम काट दिया गया, इस पर इंस्पेक्टर हरेन्द्र सिंह ने मुकदमा दर्ज कर लिया।
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इन्स्पेक्टर हरेन्द्र सिंह का कई महीने पहले मेरठ जोन के लिए तबादला हो चुका है लेकिन, उन्हें रिलीव नहीं किया जा रहा है। चूंकि उनका जाना तय है, इसलिए वे जमकर मनमानी करते नजर आ रहे हैं। कोरोना जैसी भयानक माहमारी को लेकर भी वे गंभीर नहीं हैं। उन्होंने एसएसपी को रिपोर्ट भेजी, उसमें तबलीगी जमात वालों का उल्लेख तक नहीं किया, जबकि एसडीएम लाल बहादुर, सीओ रामकरन के साथ कोतवाल हरेन्द्र सिंह ने ही छापा मारा था, वडाला (महाराष्ट्र), बुलंदशहर जिले के और आंध्र प्रदेश के लोग निकले थे, जिन्हें पन्ना लाल इंटर कॉलेज और नगर पालिका परिषद में क्वारंटाइन किया गया है, साथ ही वडाला वालों को जिला मुख्यालय पर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है। झूठी रिपोर्ट भेजने को लेकर इन्स्पेक्टर हरेन्द्र सिंह के विरूद्ध महामारी अधिनियम- 1897 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर निलंबन की कार्रवाई होना चाहिए थी लेकिन, अफसर उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
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यह भी बता दें कि जिले में ऐसे इन्स्पेक्टर तैनात हैं, जिनके नाम से ही अपराधी क्षेत्र छोड़ जाते हैं। अजय यादव, अजय चाहर, राकेश सिंह, राजीव शर्मा और रामगोपाल शर्मा जैसे इन्स्पेक्टर दलालों को आस-पास भी नहीं फटकने देते, इसलिए इन्हें कोतवाली में तैनात नहीं किया जा रहा है। नियम-कानून के विपरीत कार्य करते हुए खुलेआम मनमानी करने वाले ट्रांसफर होने के बावजूद हरेन्द्र सिंह जैसे लोग मौज मार रहे हैं। यह भी बताते हैं कि जिले में सामान्य श्रेणी के थाना प्रभारी कम हैं।
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