बदायूं का प्राथमिक शिक्षा विभाग लापरवाहों और भ्रष्टाचारियों के चंगुल में है। न सिर्फ बच्चों का भविष्य बर्बाद किया जा रहा है बल्कि, शिक्षकों का भी जमकर शोषण किया जा रहा है। शिक्षक नेता मौन हैं, इसलिए हालात सुधारने के लिए जिलाधिकारी को ही व्यक्तिगत रूचि लेना पड़ेगी।
पहले बात भ्रष्टाचार की करते हैं तो, जिला कार्यालय से लेकर ब्लॉक कार्यालय तक शिक्षकों का खुलेआम जमकर शोषण किया जा रहा है। वेतन, एरियर, पेंशन सहित किसी भी तरह का फंड निकालने के लिए शिक्षकों से मोटी रकम वसूली जाती है। नये शिक्षकों का पहला वेतन 30 हजार रुपया लेकर निकाला जा रहा है। रिश्वत न देने वाले शिक्षकों का वेतन लटका रहता है। जो शिक्षक स्वयं विभाग की मुर्गी बने हुए हैं, वे शिक्षक भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते।
जिला कार्यालय भ्रष्टाचारियों के चंगुल में है। अनुचर लिपिक का कार्य संभाल रहा है। चीनी मिल से प्रतिनियुक्ति पर आया बाबू खुलेआम कार्यालय में बैठ कर ही रिश्वत लेता है, उसका समय पूरा हो गया है, फिर भी उसे वापस चीनी मिल नहीं भेजा जा रहा, जबकि चीनी मिल में स्टाफ की पहले से कमी है, इसी तरह ड्रेस, रंगे, पुताई सहित विभिन्न मदों में आने वाला धन भी सिर्फ कागजों में भी खर्च कर लिया जाता है, ऐसे प्रकरणों में शिक्षक नेता भी मौन धारण किये हुए हैं।
जिला कार्यालय ही लापरवाहों और भ्रष्टाचारियों के चंगुल में है, जिससे शिक्षक भी वैसे ही हो गये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तमाम विद्यालय दोपहर के समय खुलते हैं, जिससे बच्चे सड़क पर भटकते रहते हैं। ग्रामीण आपत्ति जताते हैं, फिर भी कोई सुधार नहीं होता। जिलाधिकारी आईएएस कुमार प्रशांत स्कूलों पर विशेष ध्यान देते नजर आ रहे हैं, उन्होंने शनिवार को भी आरिफपुर नवादा स्थित उच्च प्राथमिक एवं प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया और कमियां मिलने पर डांट भी लगाई पर, इतने भर से सुधार नहीं होने वाला। जिलाधिकारी को व्यक्तिगत रूचि लेकर लापरवाहों और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करना होगी।
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