बदायूं जिले के पुलिस विभाग में मनमानी और भ्रष्टचार का राज है। सरकार और अफसर बदलते रहते हैं लेकिन, अंदरूनी हालात नहीं बदलते। पुलिस को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से डिजिटल किया जा रहा है। मानवाधिकारों की रक्षा और जनसेवा के लिए ट्वीटर पर पुलिस को सक्रिय किया गया, जहाँ शिकायत और समस्या बताने से त्वरित कार्रवाई की जाती है, जिससे यूपी पुलिस देश भर में वाह-वाही लूटती रहती है पर, बदायूं पुलिस ट्वीटर पर भी अफसरों को भ्रमित करने का प्रयास करती नजर आ रही है। बदायूं पुलिस गलत सूचनायें दे रही है, जिससे आम जनता के बीच पुलिस की विश्वसनीयता घट सकती है।
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गौतम संदेश ने नियम के विरुद्ध की जा रही थाना प्रभारियों की री-पोस्टिंग का मुद्दा उठाया था, जिसका अफसरों ने संज्ञान लिया, इस पर बदायूं पुलिस का कहना है कि तैनाती नियमों के अनुसार की गई है, साथ ही लिखा है कि थाना उसहैत में राजीव कुमार को पहली बार थानाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि राजीव कुमार थाना उसहैत में दूसरी बार तैनात किये गये हैं, इसमें यह हो सकता है कि पिछली बार उन्हें कार्यकारी थानाध्यक्ष बनाया गया होगा पर, इस तथ्य को छुपाया जा रहा है, इसी तरह थाना अलापुर में राजीव शर्मा दूसरी बार थानाध्यक्ष बनाये गये हैं, उनके बारे में बदायूं की पुलिस ने कुछ नहीं बताया, यह दोनों कोतवाली उझानी में तैनाती के दौरान निलंबित भी किए गये थे।
इसी तरह कुंवरगाँव थाना क्षेत्र के गाँव गंज में मॉब लिंचिंग की वारदात हुई थी। नत्थू लाल के ट्रैक्टर से बैट्री चोरी कर ली गई थी। नत्थू लाल थाना कुंवरगाँव में बैट्री चोरी का मुकदमा दर्ज कराने गये थे लेकिन, पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया, जिसके बाद नत्थू लाल स्वयं और उनके परिचित चोरों को खोजने में जुटे रहे। अगले दिन चोर बैट्री को कस्बा कुंवरगाँव में बेचने के इरादे से जा रहे थे तभी, पहले से सतर्क नत्थू लाल और उनके परिचितों ने बैट्री सहित कथित चोर गाँव के बाहर दबोच लिये।
बैट्री चोरी करने के कथित आरोपी फैजान और अर्जुन को पुलिस को सौंपने की जगह भीड़ स्वयं ही न्याय करने लगी, दोनों को पीटा गया, साथ ही सार्वजनिक स्थल पर दोनों के सिर का मुंडन करा दिया गया। किसी ने पुलिस को सूचना दे दी तो, पुलिस भी घटना के समय ही गाँव में पहुंच गई थी लेकिन, दबंगई दिखाने वाली भीड़ पर अंकुश लगाने और कार्रवाई करने की जगह पुलिस समझौते का प्रयास करती रही थी। कई घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस फैजान और अर्जुन को थाने ले गई, इस खबर पर अफसरों ने कार्रवाई के निर्देश दिए तो, बदायूं पुलिस ने खबर का ही खंडन कर दिया, जबकि खबर के साथ फोटो और वीडियो भी प्रकाशित किये गये थे।
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उक्त दो घटनाओं का प्रमुखता से उल्लेख कर दिया, अन्य कई प्रकरणों में भी बदायूं पुलिस लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय, बरेली के एडीजी और बरेली के आईजी को असत्य सूचनायें देकर भ्रमित करने का प्रयास करती रहती है। अफसरों ने बदायूं पुलिस द्वारा दी गई किसी सूचना की कभी अलग से जांच करा ली तो, दोषी कड़ी कार्रवाई से बच नहीं पायेंगे। फिलहाल देखने वाली बात यह है कि अफसर री-पोस्टिंग और मॉब लिंचिंग के प्रकरण में गलत सूचनायें देने वाले पुलिस कर्मियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई करते हैं। यूपी पुलिस की ट्वीटर सेवा पर लोग बड़ा विश्वास करते हैं, इसलिए दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होना आवश्यक भी है वरना, ट्वीटर सेवा से भी लोगों का शीघ्र ही विश्वास उठ जायेगा।
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