बदायूं जिले का उघैती थाना क्षेत्र तालिबानों जैसा इलाका बनता जा रहा है। उघैती क्षेत्र में नियम-कानूनों का कोई महत्व नहीं है। एसओ प्रमेन्द्र कुमार जो सोच ले, जो कर दे, वही नियम-कानून हो जाता है, इसीलिए पुलिस की अहमियत निरंतर घटती जा रही है। एसओ जघन्य वारदातों का खुलासा करने में पूरी तरह असफल है, जिससे जघन्य वारदातों की क्षेत्र में बाढ़ सी आ गई है। सुबह एक गरीब को पत्नी और मासूम बच्चों के सामने चाकुओं से गोद कर मौत के घाट उतार दिया।
उघैती थाना क्षेत्र के गाँव करियामई निवासी राधे बेहद गरीब बताया जा रहा है। नशे का आदी भी बताया जा रहा है। राधे पत्नी-बच्चों के साथ खेत पर ही झोपड़ी बना कर रहता था। बताते हैं कि बीती रात गाँव में बारात आई थी, जिसे राधे ने परिवार के साथ देखा। बारात आगे बढ़ गई तो, परिवार सहित राधे झोपड़ी में लौट आया। सुबह चार बजे के करीब चार सशस्त्र लोग आ धमके और राधे को पीटने लगे। पत्नी ने विरोध किया तो, उसकी कनपटी पर एक ने तमंचा सटा दिया और जान से मारने की धमकी देते हुए चुप रहने को कहा।
बताते हैं कि पत्नी-बच्चों के सामने राधे को चाकुओं से गोदा और फिर गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया। घटना को अंजाम देकर हत्यारे आराम से फरार हो गये। घटना की सूचना पुलिस को मिली तो, एसओ ने सुबह मीडिया को अज्ञात बता कर भ्रमित किया, साथ ही घटना की तहरीर स्वयं तैयार कराई, जिसमें चार हत्यारों की जगह तीन का उल्लेख किया गया है, जबकि पत्नी-बच्चे चार हत्यारे बता रहे हैं। एसओ ने तीन अज्ञात हत्यारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है।
उघैती क्षेत्र में घटित हुईं जघन्य वारदातों का महीनों बाद भी खुलासा नहीं हुआ है लेकिन, समीक्षा के बावजूद एसओ प्रमेन्द्र कुमार के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। यौन उत्पीड़न की शिकार महिला अफसरों के कार्यालयों के चक्कर लगा-लगा कर परेशान है लेकिन, स्वजातीय दलालों के कारण एसओ ने यौन उत्पीड़न के आरोपी को दोष मुक्त करार दे दिया है। उघैती क्षेत्र को अफसर गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जिसका दुष्परिणाम आम जनता पल-पल भुगतने को मजबूर नजर आ रही है।
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