बदायूं जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार त्रिपाठी आपराधिक वारदातों को रोकने की दिशा में कार्य करने की जगह वारदातों के मुकदमा दर्ज न कर ग्राफ सही रखना चाहते हैं। अधीनस्थ बॉस की मानसिकता समझते हैं, सो मुकदमा दर्ज नहीं करते अथवा, मुकदमा दर्ज करने में मनमानी करते हैं। पुलिस ने यौन उत्पीड़न की तहरीर ही बदलवा दी।
घटना उघैती थाना क्षेत्र के एक गाँव की है। 12 वर्ष की बच्ची बुधवार की रात करीब नौ बजे दुकान से घर जा रही थी तभी, गाँव के कुछ दबंग किस्म के मनचलों ने बच्ची को उठा लिया। बच्ची घर नहीं पहुंची तो, परिजन बच्ची को कई घंटे तक खोजते रहे। परिजन कई घंटे परेशान रहे लेकिन, बच्ची नहीं मिली। लगभग तीन घंटे के बाद बच्ची लौटी तो, उसने वारदात के बारे में परिजनों को बताया। बच्ची से वारदात के बारे में जान कर परिजन चीख उठे लेकिन, दबंगों के सामने वे कुछ न कर सके।
पीड़ित परिवार हाथ से तहरीर लिख कर थाने रिपोर्ट दर्ज कराने आया पर, थानाध्यक्ष ने पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं किया। एसओ ने कहा कि तहरीर की भाषा और घटनाक्रम बदल कर लाईये, उसके बाद कार्रवाई करने पर विचार किया जायेगा। पीड़ित ने कंप्यूटर से एक और तहरीर लिखवाई, जो एसओ ने ले ली लेकिन, अभी तक एसओ ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया है।
बता दें कि पिछले दिनों यौन उत्पीड़न की शिकार एक महिला ने मुकदमा दर्ज न होने से आहत होकर आत्म हत्या कर ली थी, इसके बावजूद जिले की पुलिस की मानसिकता नहीं बदल रही है। मृतका एसएसपी से मिल चुकी थी, जिसके बाद उसने आत्म हत्या की, इस घटना से यह संदेश चला गया है कि बॉस ही मुकदमा दर्ज न करने के पक्ष में हैं, सो उनके अधीनस्थ भी जमकर मनमानी करते नजर आ रहे हैं।
(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)