बदायूं जिला यौन उत्पीड़न की वारदातों को लेकर विश्व भर में कुख्यात है, इसके बावजूद पुलिस यौन उत्पीड़न की वारदातों को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। यौन उत्पीड़न की जघन्यतम वारदात हुई है। दरिंदों की हैवानियत के बारे में जान कर हर कोई स्तब्ध नजर आ रहा है लेकिन, लापरवाही बरतने वाले थाना प्रभारी, क्षेत्र के प्रभारी और सिपाहियों के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
यौन उत्पीड़न की जघन्यतम वारदात उघैती थाना क्षेत्र की है। क्षेत्र के एक गाँव में 3 जनवरी की शाम को एक विवाहिता मंदिर भी पूजा-अर्चना करने गई थी लेकिन, वह देर रात तक लौट कर नहीं आई। रात में मंदिर का महंत सत्यनारायण, उसका चेला वेदराम और ड्राइवर जसपाल कार से गंभीर रूप से घायल विवाहिता को लाये और घर पर उतार कर चले गये। कुछ देर बाद विवाहिता ने दम तोड़ दिया था। परिजनों का कहना है कि पुलिस को सूचना दी गई लेकिन, पुलिस न रात में आई और न ही अगले दिन शाम तक आई जबकि, परिजन लगातार कह रहे थे कि विवाहिता के साथ यौन उत्पीड़न की जघन्यतम वारदात हुई है। बताते हैं कि थाना प्रभारी ने अफसरों को भी घटना की सटीक जानकारी नहीं दी।
विवाहिता का खून से लथ-पथ शव 18-20 घंटे पड़ा रहा। 4 जनवरी की शाम को थाना पुलिस ने शव का पंचनामा भरा और पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेजा, जिससे पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। विवाहिता के शव का पोस्टमार्टम 5 जनवरी की दोपहर में हुआ तो, बताते हैं कि डॉक्टर स्तब्ध रह गये, क्योंकि विवाहिता का न सिर्फ यौन उत्पीड़न किया गया बल्कि, उसे राक्षसों की तरह दरिंदों ने नोंचा है, इस वारदात की दिल्ली के निर्भया कांड से तुलना की जा सकती है, इस वारदात के बारे में जो भी सुन रहा है, वह स्तब्ध नजर आ रहा है।
इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि गंभीर रूप से घायल विवाहिता को घर पर फेंकने के बाद आरोपी दरिंदे मंदिर पर ही रहे और मीडिया कर्मियों से बात करते हुए फर्जी कहानी सुनाते रहे। महंत सत्यनारायण कह रहा था कि विवाहिता मंदिर पर बने कुआँ में गिर गई थी, जिसके बाद वे उसे उपचार के लिए चंदौसी ले गये, वहां से मना करने के बाद घर पर ले गये। आरोपी स्वयं को हीरो दर्शाते रहे लेकिन, पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेने का सोचा भी नहीं।
पुलिस यही मान कर चल रही थी कि महंत सत्यनारायण ही सही बोल रहा है लेकिन, पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा तो, आरोपी फरार हो गये, अब पुलिस के हाथ में कुछ नहीं है, अपने बचाव में पुलिस सिर्फ कहानी सुना रही है, जबकि पूरे प्रकरण में पुलिस की लापरवाही स्पष्ट नजर आ रही है लेकिन, अभी तक लापरवाह थाना प्रभारी, लापरवाह क्षेत्र के प्रभारी और लापरवाह सिपाहियों के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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